आखिर क्यों इम्तियाज़ जलील को दुबारा सांसद बनना चाहिए?

तस्वीर में दिखने वाले साहब औरंगाबाद महाराष्ट्र (Aurangabad, Maharashtra) के सांसद हैं। नाम बताने की जरूरत नहीं आप सभी बखूबी वाकिफ हैं। साहब एक ऐसी सीट से और एक ऐसी पार्टी से 2019 में सांसद (Member Parliament) चुने गए थे जिसका गुमान किसी को नहीं था। उस समय आखिरी दिन नामांकन करने वाले ये महोदय खुद भी इस रिजल्ट की उम्मीद में नहीं होंगे।

बहरहाल चुनाव हुआ और इम्तियाज़ जलील (Imtiaz Jaleel) शिवसेना के गढ़ औरंगाबाद से सांसद चुने गए। जिस पार्टी के वो सांसद हैं उसके बारे में एक भ्रम ये है कि वो केवल मुसलमानों की पार्टी है। केवल मुस्लिम हितों को ध्यान रखते हुए बात करती है। उसकी राजनीतिक बात मुसलमानों से शुरू हो कर मुसलमानों पर ख़त्म होती है।

संसद में दहाड़

मगर जैसे ही इम्तियाज़ जलील संसद में पहुंचे तो एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और इम्तियाज़ जलील ने बाकि नेताओं से इतर संसद में सबसे से ज्यादा सवाल सरकार से पूछे। कौन सा मुद्दा है जिस पर इम्तियाज़ जलील ने संसद में बात नहीं की हो।

प्रेस फ्रीडम

प्रेस फ्रीडम पर जिस जोरदार अंदाज में उन्होंने संसद में आवाज बुलंद की वो इस बात को साबित कर गया कि चाहे वो पत्रकार से नेता बन चुके है मगर उनके अंदर का पत्रकार आज भी जिन्दा है।

बेरोजगारी

युवाओं की बेरोजगारी पर सरकार को बार बार जबरदस्त तरीके से घेरना और सरकार को गैरत दिलवानी कि यही वो युवा हैं जो देश को बुलंदी के आसमानों पर पहुंचाने का काम करेंगे मगर आपकी इस तानाशाही सरकार ने इन युवाओं को रोजगार से महरूम कर दिया है। युवाओं का दर दर भटकना भी इस मोदी सरकार को जगाने में नाकाम रहा बल्कि उल्टा इन युवाओं के बदन पर लाठियों के निशान उनके जख्मों को कुरेदने का काम करेगा।

मराठा और मुस्लिम आरक्षण

मराठा और मुस्लिम आरक्षण पर इम्तियाज़ जलील का जोरदार समर्थन सरकार के लिए परेशानी का सबब बना था। थेथर बन कर मोदी सरकार कुछ भी कहे मगर कोई तार्किक जवाब सरकार आज तक नहीं दे पायी है।

महंगाई

देश की पूरी आबादी महंगाई का दंश झेल रही है। पेट्रोल के बढ़ते दाम हों या खादय पदार्थों के आसमान छूते दाम जनता का तेल निकालने के लिए काफी है। इम्तियाज़ जलील ने महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को दसियों बार आईना दिखाने का काम किया है।

सम्प्रदायक सौहार्द

देश और उनके चुनावी क्षेत्र के सम्प्रदायक सौहार्द और आपसी भाईचारा के लिए उन्होंने अग्रणी हो कर काम किया है। कभी भी अपने इलाके के नफरती राजनीती की आग में झुलसने नहीं दिया है।

इसके अलावा भी सैंकड़ों ऐसे मुद्दे है जिसमें इम्तियाज़ जलील ने औरंगाबाद की तरक्की के लिए सरकार से सवाल भी पूछे और अपने क्षेत्र के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को पास करवाया।

निष्पक्ष जननेता

अब कोई समझदार व्यक्ति ये बताने का कष्ट करेगा कि आखिर AIMIM के सांसद इम्तियाज़ जलील द्वारा संसद में उठाये इन मुद्दों में केवल मुसलमानों के लिए क्या है? क्या उन्होंने एक निष्पक्ष जननेता की तरह अपने चुनावी क्षेत्र के हर समुदाय के उत्थान के लिए दिन रात कार्य किया है।

जिस नेता को कल तक उनकी पार्टी की वजह से लोग भ्रामक तौर पर केवल मुस्लिम नेता समझते थे उनकी संसद और अपने कार्य क्षेत्र में काम करने की वजह से सभी समुदायों में उनकी एक सर्व मान्य पहचान बन चुकी है। क्या मराठा, क्या दलित बौद्ध समुदाय सभी ने इम्तियाज़ जलील ने सबके नेता के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है।

मुझे लगता है ऐसे नेता को दुबारा से संसद में पहुंचाना औरंगाबाद के सभी लोगों की जिम्मेदारी है। नफरत की राजनीती को नकार कर अपने इलाके के उत्थान के लिए कार्य करने वाले सांसद इम्तियाज़ जलील को चुनना चाहिए।

बाकि इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है हमारे साथ जरूर साझा करें।

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