जैसे हमारी देश की सबसे लोकप्रिय एंकर रुबिका दीदी को प्रधानमंत्री की शान में जरा सी भी विपक्षी गुस्ताखी पसंद नहीं है बिल्कुल वैसे ही एक साहब है नाम है शुजात अली कादरी इनको भी मोदी जी की शान में कसीदे पढ़ने में बहुत मजा आता है। अब अपने कुतर्क को सही साबित करने के लिए इनको ओवैसी को एजेंट बताना पड़े अथवा मुसलमानों को कट्टरपंथी साबित करना पड़े इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अभी एक ट्वीट में इन्होंने मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ से जोड़ते हुए “हिन्दू और मुस्लिम दक्षिणपंथियों का मिला जुला खेल” टाइटल के साथ असदुद्दीन ओवैसी को भाजपा का एजेंट साबित करने की कोशिश की है। वो अलग बात है कि मार्च 2016 में मोदी को सबसे पहले मुसलमानों के एक गिरोह की तरफ से सूफी कॉन्फ्रेंस के नाम पर legitimize करने वालों में ये महोदय अग्रणी श्रेणी में शामिल थे।
इनकी नजर में ओवैसी साहब देश का माहौल ख़राब कर रहे है और मुसलमानों को भड़काने का काम कर रहे है मगर मोदी जी ने मुसलमानों के लिए इतने कल्याणकारी योजनायें चला रहे है कि देश के मुसलमानों को भाजपा के अंग संग चले जाना चाहिए। आपको क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ एक बार आप मुस्लिम विरोधी वेबसाइट The Print पर 9 जून 2022 की इनकी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।
सत्ताधीश मोदी सरकार की तारीफ में इस कदर कसीदे पढ़े कि तारीफ खुद भी शर्मा गयी थी। एक बार शब्दों पर गौर करिये “अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित कई कल्याणकारी योजनाओं ने देश में अल्पसंख्यकों के जीवन को बेहतरी के लिए बदल दिया है। अल्पसंख्यक कल्याण हमेशा से भारत सरकार का प्रमुख फोकस रहा है और इसने देश में अल्पसंख्यक समुदायों तक विभिन्न योजनाओं को पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
मामला केवल यही नहीं रुका मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ का शिकार बताने वाले महोदय मोदी जी के साथ NSA अजीत डोभाल की शान में पूरी दिल की गहराईयों से कसीदे पढ़ते हैं। नहीं यकीन फिर से सबूत चाहिए तो चलो फिर आवाज द वॉइस में 2023 का महोदय द्वारा लिखा आर्टिकल पढ़ लीजिये।
आर्टिकल में लिखे शब्दों के चयन पर ख़ास ध्यान दीजियेगा “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक सर्वव्यापी उपस्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भी है। वह न केवल प्रधानमंत्री की आभासी छाया हैं; वह एक समानांतर राजनयिक कोर और प्रधानमंत्री की प्रमुख नीतियों का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के रूप में कार्य करता है। कहा जाता है कि पीएम की तरह वह भी अथक परिश्रम कर रहे हैं।”
खुद का कोई वैचारिक स्टैंड नहीं
देखिये कुल मिला कर बात ये है कि शुजात अली क़ादरी जो मुस्लिम युवाओं को दक्षिणपंथी और कट्टरपंथ का शिकार बता रहे हैं उनका खुद का कोई वैचारिक स्टैंड नहीं है। जो व्यक्ति असदुद्दीन ओवैसी को भाजपा का एजेंट और समाज में द्वेष फ़ैलाने वाला बता रहा है वो खुद भाजपा और मोदी सरकार की शान में आये दिन कसीदे पढ़ता है।
वो कहावत है न “गुड़ खाए, गुलगुले से परहेज” वही हाल इन महोदय का है जो खुद रुबिका आंटी की तरह मोदी जी की शान में गुस्ताखी न बर्दाश्त कर पाता हो वो दूसरों को एजेंट और कट्टरपंथ का सर्टीफिकेट बांटते हुए घूम रहा है।