इस देश में कथित सेकुलर सरकारों को भाजपा की सम्प्रदायक राजनीती के खिलाफ एक तरफ़ा वोट करने के बावजूद मुसलमानों को क्या मिलता है “मोब लिंचिंग” और “पुलिस प्रताड़ना”.
आखिर जिस समाजिक सुरक्षा के लिए मुसलमान इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी पार्टियों को चुनावी मैदान में एक मुश्त वोट से सफल करता है अगर उनकी सरकार बनने के बाद भी मुसलमान भाजपा शासन की तरह ही पीड़ित रहेगा तो लाहनत है ऐसी सेकुलर सरकारों पर।
मोब लिंचिंग में अग्रणी झारखंड
जिस भाजपा के जुल्मों सितम से दुखी हो कर मुसलमानों ने झारखंड में झामुमो, राजद और कांग्रेस की गठबंधन सरकार को प्रदेश की सत्ता सौंपी थी वही झारखंड अब मोब लिंचिंग के मामले में सबसे अग्रणी और मुसलमानों के लिए कब्रगाह बन चुका है।
मामले इससे भी आगे ये है कि अगर कोई मुसलमान भीड़ द्वारा मारा जाये तो इस सेकुलर सरकार की पुलिस केस दर्ज करने और आरोपियों पर करवाई की जगह उल्टा पीड़ित को धमकाने का काम करती है।
देखने सुनने में लगता है कि भाजपा की जगह प्रदेश में कांग्रेस व् झामुमो की सरकार है मगर दिल से संघी बन चुके इन पार्टियों के नेताओं की मुस्लिम नफरत में भाजपा के मुकाबले रत्ती भर भी कमी नहीं दिखाई देती नहीं है। मुस्लिम प्रताड़ना का दौर भाजपा से भी एक कदम आगे बढ़ कर इन सरकारों में चरमसीमा पर रहता है।
मौलाना सहाबुद्दीन की भीड़ द्वारा हत्या
हालिया घटनाक्रम में झारखंड के कोडरमा में एक मस्जिद के इमाम मौलाना सहाबुद्दीन अपनी बाइक से घर लौट रहे थे मगर हिंसक भीड़ ने एक महिला को टक्कर मारने का बहाना बनाकर उनको बेरहमी से पीट पीट कर मार डाला।
अब सोचिये जिस भाजपा हराओ के नाम पर मुसलमानों ने झारखंड में सेकुलर सरकार बनाई थी उसी सेकुलर सरकार की पुलिस उल्टा पीड़ित को ही धमकाते हुए बोलती है कि ये मोब लिंचिंग का केस नहीं है बल्कि सड़क हादसे का केस दर्ज किया जायेगा। मृतक के बड़े बेटे को को इतना धमकाया जाता है कि वो बेचारा केस दर्ज करने से भी पीछे हट जाता है।
पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन
मगर आज़ाद समाज पार्टी और AIMIM के नेताओं द्वारा पीड़ित को हौंसला देने के बाद पीड़ित परिवार पुलिस के पास मुकदमा दर्ज करने के लिए जाता है तो फिर से वही सेकुलर सरकार वाली संघी पुलिस मामले को दुबारा सड़क हादसा साबित करने पर आतुर रहती है।
जब नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी की जमशेदपुर यूनिट जोरदार प्रदर्शन करती है तब पुलिस पर जरा दबाव बनता है। इस मामले पर चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा ट्वीट भी किया जाता है जिसमें वो लिखते है की “झारखंड के कोडरमा ज़िले में मस्जिद के इमाम मौलाना शहाबुद्दीन जी की मॉब लीचिंग कर हत्या करने की घटना दुःखद तो है ही साथ ही दंडनीय भी है। अभी इस घटना के विरोध में आज़ाद समाज पार्टी जमशेदपुर यूनिट द्वारा प्रदर्शन किया गया है, अगर न्याय नही मिला तो हम पूरे प्रदेश में न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।”
उल्टा पीड़ित को ही धमकी
जो झारखंड पुलिस इस मोब लिंचिंग के मामले पर पीड़ित पक्ष को सड़क हादसे के केस के लिए दबाव बना रही थी उसने मामला बढ़ता देख इस मामले को रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों को भी करवाई की धमकी देनी शुरू कर दी है। इसमें भी मुस्लिम पत्रकारों का खास ख्याल रखा जाता है।
पत्रकारों के ट्वीट पर हज़ारीबाग पुलिस धमकी देते हुए कहती है कि “प्रारंभिक जांच में मोब लिंचिंग की घटना नहीं है उक्त घटना वाहन दुर्घटना से संबंधित है जिसमें प्राथमिकी की दर्ज कर ली गई है। कृपया इस तरह का पोस्ट सोशल मीडिया में डालकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का प्रयास न करें, डाले गए पोस्ट को डिलीट करें। अन्यथा विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।”
पीड़ित तो हमेशा मुसलमान!
अब ठहर कर सोचिये देश भर के विभिन्न राज्यों का मुसलमान ‘भाजपा हराओ’ के नाम पर विपक्षी पार्टियों को एक मुश्त समर्थन देता है ताकि उसको समाजिक तौर पर सुरक्षा मिल सके मगर जब उसकी सेकुलर सरकार में मुसलमानों की मोब लिंचिंग के मामले सबसे ज्यादा होने लगे और इन हादसों में पुलिस द्वारा करवाई की बजाये उल्टा पीड़ित मुसलमान को ही धमकाया जाये तो लाहनत है ऐसी सेकुलर सरकार पर!
लोकतंत्र खतरे में?
अगर ऐसा ही चलता रहा तो मुसलमानों को मान लेना चाहिए कि गंगाधर ही शक्तिमान है। भाजपा और विपक्षी पार्टियों में कोई फर्क नहीं है क्यूंकि पीड़ित तो हमेशा मुसलमानों को ही बनना है!
लोकतंत्र तो केवल सेकुलर सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी पर खतरे में आता है प्रदेश के मुसलमानों की मोब लिंचिंग से भला लोकतंत्र को क्या खतरा होगा!
यकीन रखियेगा इस पोस्ट पर भी झारखंड की सेकुलर सरकार की पुलिस करवाई की धमकी देने जरूर आयेगी और इसकी बुनियाद पर मुझ पर मुकदमा भी आकर दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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