क्या मुसलमान महाराष्ट्र में एक बार फिर सेकुलर पार्टियों के हाथों ठगा गया है?

लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र (Maharashtra) में सेकुलर पार्टियों द्वारा मुसलमानों की राजनीतिक हिस्सेदारी को बिल्कुल खत्म कर दिया है। भाजपा हराओ के नाम पर मुसलमानों को जहां वो सीधे तौर पर चुनावी तरीके से प्रभावी है वहां पर भी दरकिनार कर दिया है।

चुनाव जीतना तो दूर किसी मुस्लिम प्रत्याशी (Muslim Candidate) टिकट भी नहीं दिया गया तह। मुझे लगता है कि अब आगामी दिनों में इसकी उम्मीद भी नहीं है कि ये सेकुलर पार्टियां (Secular Parties) बहुत आसानी से मुसलमानों को प्रत्याशी बनायेंगी।

एक बार अगर किसी को इस बात की लत लग जाए कि इस समुदाय को टिकट दो ना दो वोट तो हमें ही मिलेगा फिर उसका कोई इलाज संभव नहीं है।

इस बात को कुछ उदाहरण के साथ समझाता हूँ

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता वाली सीट है मुंबई उत्तर मध्य। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता 25% से भी ज्यादा हैं। इस सीट से कांग्रेस ने गठबंधन के तहत वर्षा गायकवाड़ को बनाया था जो बहुत काम मार्जिन के साथ इस बार चुनाव जीत कर सांसद बन चुकी हैं।

यहां याद रखियेगा कि ये वहीँ वर्षा गायकवाड़ है जो परिसीमन के नाम मुसलमानों की राजनीतिक हिस्सेदारी को ख़त्म कर चुकी धारावी सीट से 2004 से विधायक थी। सोचिये न एक 34% मुस्लिम मतदाता वाली सीट पर भी मुसलमान केवल परिसीमन के नाम पर चुनाव नहीं लड़ सकता है।

ऐसे ही 22 फीसदी मुस्लिम मतदाता वाली औरंगाबाद सीट पर भी मुसलमानों के लिए नयी नवेली सेकुलर पार्टी शिवसेना (उद्धव) ने भी किसी मुस्लिम प्रत्याशी की जगह पुराने नेता चंद्रकांत खेरे को ही टिकट दिया था। इस सीट पर AIMIM से पिछली बार सांसद रहे इम्तियाज़ जलील चुनाव जीते थे जो इस बार शिवसेना (एकनाथ) के प्रत्याशी से 134650 वोटों से चुनाव हार गए।

ऐसे ही एक और मुस्लिम केंद्रित मुंबई दक्षिण सीट पर भी नयी नवेली सेकुलर पार्टी शिवसेना (उद्धव) ने मुसलमानों को ठेंगा दिखा कर अरविन्द सांवंत को चुनावी मैदान में उतारा था।

बिलकुल ऐसे ही मुंबई दक्षिण मध्य सीट जहां पर 20% मुस्लिम मतदाता हैं वहां पर भी नयी नवेली सेकुलर पार्टी शिवसेना (उद्धव) ने मुसलमानों को वेटिंग में लगा कर अनिल देसाई को टिकट दिया था।

जिस 20% मुस्लिम मतदाता वाली अकोला लोकसभा से दो बार मुस्लिम सांसद रहा हो वहां भी कांग्रेस ने मुसलमानों के हिस्सेदारी के नाम पर लॉलीपॉप देते हुए अभय पाटिल को टिकट दिया था मगर बेचारे भाजपा के रथ को रोक नहीं पाए।

जिस रायगढ़ लोकसभा सीट से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुर रहमान अंतुले 4 बार सांसद चुने गए हों वहां पर भी इंडिया गठबंधन ने मुसलमानों को हिस्सेदारी के नाम पर एक बड़ा सा अंडा पकड़ा कर साइड कर दिया था।

निष्कर्ष

पूरी बात का निष्कर्ष ये निकलता है कि भाजपा को हराने के नाम पर महाराष्ट्र के 1.5 करोड़ मुसलमानों से उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी को छीनने के मामले में सभी सेकुलर पार्टियां एक सामान है।

सोचिये कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में से किसी भी पार्टी को महाराष्ट्र की 48 सीटों में से एक भी सीट पर कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं मिला है!

कहीं ऐसा तो नहीं कि इन सभी पार्टियों को इस बात का यकीन हो चुका है कि राजनीतिक हिस्सेदारी के नाम पर मुसलमानों के साथ कोई भी मक्कारी कर लो ये बेचारा मुसलमान जायेगा कहाँ?

“मुसलमान वोट को हमें ही देगा” ये शब्द ही महाराष्ट्र में मुसलमानों को एक भी सीट नहीं देने का अंतिम सत्य है।

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