मानवता का कातिल USA भारतीय पत्रकार के सवालों से घबराया

मौजूदा वैश्विक राजनीती में महाशक्ति की हैसियत रखने वाला अमेरिका ही पूरी दुनिया में मानवीय तबाही का एक मात्र जिम्मेदार है। अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए USA किस हद तक जा सकता है इसकी सबसे उत्तम मिसाल है कि जापान (Japan) के हिरोशिमा (Hiroshima) और नागासाकी (Nagasaki) पर परमाणु बंब गिरा कर लाखों मासूमों को निर्मम तरीके से मार डाला था। आज भी जो पूरे मध्य पूर्व (Middle East) में अशांति फैली हुयी है देश के देश तबाह हो रहे है उसके पीछे सीधे तौर पर अमेरिका ही जिम्मेदार है।

दुनिया में हथियारों के अपने कारोबार को चलाते रखने के लिए दुनिया के किसी न किसी कोने में जंग के हालात बनाये रखना अमेरिका की प्रमुख नीतियों में शामिल है। “अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता” इसी नीति के तहत अमेरिका ने ईराक, सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान जैसे मुल्कों को एक दम तबाह कर दिया है। इंसानी जिंदगी की कीमत अमेरिका की नजर में किसी कीड़े मकोड़े से ज्यादा नहीं है।

इजराइल फलस्तीन (Israel Plaestine Conflict) के विवाद के पीछे भी सीधे तौर पर अमेरिका ही है। शायद वो चाहता ही नहीं है कि इस विवाद का कभी कोई समाधान निकले। इसके पीछे बुनियादी वजह दुनिया को दो खेमों में बाँट कर अपने हथियारों के कारोबार को चरम सीमा पर पहुँचाना है।

इसी मुद्दे पर हमारे Journo Mirror के पत्रकार साथी मोहम्मद अली जो इस वक्त अलटरनेट मीडिया का सबसे उभरता हुआ चेहरा हैं ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सवाल पूछा था कि “अमेरिका पर आरोप हैं कि वह इजराइल को खुलेआम हथियार सप्लाई कर रहा हैं जिसकी वजह से इजराइल गाज़ा और रफाह में नरसंहार कर रहा है. क्या अमेरिका भी चाहता हैं कि फिलिस्तीनियों का खून पानी की तरह बहे? अगर नहीं तो जंग रोकने के लिए आपने क्या प्रयास किए हैं?”

इस मुद्दे पर आज तक सीधे तौर पर अमेरिका से किसी पत्रकार ने सवाल पूछने की हिम्मत नहीं की थी मगर मुहम्मद अली ने बेबाकी से सीधे अमेरिकी विदेश मंत्रालय पर सवालिया निशान खड़ा किया था। जिस अमेरिका को लाखों मासूमों के क़त्ल से भी फर्क नहीं पड़ता है उस पर इस सवाल का गहरा असर देखने को मिला है।

इस सवाल के जवाब में स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता मार्ग्रेट मॅक्लाउड ने एक वही पुराना रटा रटाया जवाब दिया है। मानवीय सहायता की बातों को गोल गोल घुमाते आखिरकार अमेरिका ने अपने अजेंडे के तहत हमास को ही पूरी जंग का दोषी ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है।

इस वीडियो में USA स्टेट डिपार्टमेंट का पूरा जवाब सुनिए।

इनकी लच्छेदार बातों से इतर हकीकत ये है कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका ने फिर साबित कर दिया है कि वह इस नाजायज यहूदी देश के लिए पूरी दुनिया से भिड़ने को तैयार है। एक तरफ जब संयुक्त राष्ट्र में रमजान के दौरान गाजा नरसंहार रोकने के लिए प्रस्ताव पास हुआ, अमेरिका ने न खिलाफत की और न समर्थन। उसने वोटिंग से खुद को किनारे रखा।

इजरायल ने इस काम के लिए अमेरिका को खूब सुनाया भी लेकिन, अमेरिका ने गाजा में निर्दोषों की जान जा रही है, का बयान देकर यह संदेश देने की कोशिश तो की कि उसे मानव हितों का ध्यान है लेकिन, अगले कुछ दिनों में ही इजरायल को हथियारों की खेप भेजने का वादा करके स्पष्ट कर दिया कि इजरायल पर उसकी पॉलिसी कभी नहीं बदलनी वाली। दुनिया भर के देश अमेरिका के इस कदम पर नाराज हैं मगर अमेरिका को क्या फर्क पड़ने वाला है।

अमेरिका और इजरायल की इतनी गहरी दोस्ती की वजह क्या है?

कहीं अपने हथियारों के कारोबार को चलाने के लिए अमेरिका ने दुनिया में जंग जैसे हालात तो नहीं बना रखे हैं?

इन सवालों के जवाब आप हमारे साथ साझा करें और बतायें कि आखिर कैसे अमेरिका पूरी दुनिया में मानवता का क़त्ल करने के बावजूद भी मासूम बनने का ढोंग कर रहा है!

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