महात्मा गांधी से राइट विंग की नफरत के पीछे मुस्लिम नफरत तो नहीं!

भाजपाई गैंग और दक्षिणपंथ (Right Wing) को हमेशा महात्मा गांधी से क्यों तकलीफ रहती है इस बात के पीछे भी कहीं न कही उनकी मुस्लिम विरोधी दुश्मनी ही है। शायद आप लोगों को मेरी बातें बहकी हुयी लगे मगर हकीकत तो यही है।

इस पूरे झूठ के प्रोपोगैंडा की शुरआत मौजूदा सत्ताधारी सरकार (Modi Government) के मुखिया पीएम मोदी (PM Modi) के उस इंटरव्यू से हुयी है जिसमें उन्होंने ने बोला है कि “दुनिया में महात्मा गांधी एक बहुत बड़े महान आत्मा थे। क्या इस 75 साल में हमारी जिम्मेदारी नहीं थी कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जाने। कोई नहीं जानता महात्मा गांधी को। पहली बार जब महात्मा गांधी फिल्म बनी तब दुनिया में किरयोसिटी हुयी कि आखिर ये कौन हैं?”

मोदी जी के इस अज्ञानता के ज्ञान के बाद पूरा राइट विंग भाजपा समेत उनके इन थेथर तर्क को भी जस्टिफाई करने में लग चुका है।

चलिए इतिहासिक तौर पर जानते हैं कि राइट विंग आखिर क्यों महात्मा गांधी से नफरत की इस पराकाष्ठा पर पहुंच चुका है।

महात्मा गांधी जब लंदन में वकालत के लिए गए थे उस समय उनके साथी हसन इमाम और मज़हरुल हक जैसे मुस्लिम क्रांतिकारी थे। उनके दक्षिण अफ्रीका के प्रवास के दौरान हाजी अब्दुल्लाह और हाजी उमर जोहरी जैसी मुस्लिम शख्सियतें उनकी साथी थी।

आपको याद है 1919 में जब ज़ालिम अंग्रेजी हकूमत ने आज के दौर के UAPA की तरह रॉलेट एक्ट लाया था जिसमें किसी भी भारतीय को अंग्रेजी हकूमत बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी उस समय भी इस कानून की महात्मा गांधी ने मुखालिफत की थी। उनके समर्थन में मदन मोहन मालवीय , मजारुल हक और मुहम्मद अली जिन्ना ने शाही विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। इस कानून के विरोध में सैफ़ुद्दीन किचलु और हकीम अजमल ख़ान के हजारों समर्थकों ने इस तानाशाही सरकार की गोलियां अपने सीनों पर खायी थी।

जिनके नाथूराम गोडसे जैसे पुरखों ने महात्मा गांधी को गोली मार कर क़त्ल कर दिया था उनको इस बात से यक़ीनन तकलीफ होगी 1917 में महात्मा गांधी की जान बचाने वाला व्यक्ति एक मुस्लमान बख़्त मियां अंसारी कैसे हो सकता है।

सोचिये जिनकी पूरी राजनीती ही सम्प्रदायकता के इर्द गिर्द घूमती हो वो उनको अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी कैसे पसंद आ सकते है। इससे भी बढ़ कर उनको ये कैसे पसंद आएगा कि बापू के बाद सीमांत गांधी अथवा फ्रंटियर गांधी के नाम से एक मुस्लिम क्रांतिकारी योद्धा “ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान” कैसे प्रसिद्ध हो सकता है। वही खान अब्दुल गफ्फार (Khan Abdul Ghaffar Khan) जिनके स्वागत में आयरन लेडी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) खुद एयरपोर्ट तक जाती हैं।

महात्मा गांधी ने जब दांडी मार्च निकाला तब जस्टिस अब्बास तैयबजी का सहयोग कौन भुला सकता है। महात्मा गांधी जब चंपारण गए तो उन्हें पीर मोहम्मद मुनीस और शेख़ गुलाब जैसे क्रांतिकारियों का साथ मिला था।

राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला करते हुए कहा है कि “सिर्फ ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ के छात्र को ही महात्मा गांधी के बारे में जानने के लिये फिल्म देखने की ज़रूरत रही होगी।”

ये बात याद रखिये कि जिनके पुरखों ने केवल अंग्रेजी हकूमत के समर्थन में देशवासियों गुमराह करने का काम किया हो उनसे आप उम्मीद भी क्या कर सकते है। जिसके बाप दादा अपनी रिहाई के लिए माफ़ी मांग मांग अपने कलम की सियाही खत्म कर चुके हो वो आज पूछ रहे है की महात्मा गांधी कौन हैं।

आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है जरूर साझा करें !!!

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