पुलिस हिरासत में होती मौतों और प्रताड़ना

हमारे भारतीय समाज के लिए एक कटु सत्य है कि पुलिस का रवैया आम नागरिकों के लिए बिलकुल भी दोस्ताना नहीं है. बल्कि लोग तो पुलिस के मामलों में पड़ने से भागते है. पुलिस का भी लोगों को प्रताड़ित करने वाला मिज़ाज लोगों के अंदर भय को और पुख्ता करता जा रहा है.

अब आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि ऐसे हालात में कोई व्यक्ति पुलिस के खिलाफ क्या ही आवाज़ बुलंद करेगा. इससे भी आगे बढ़ कर जब ऐसे मामले हो जायेंगे तो क्या पुलिस ऐसे मामलों को दर्ज़ होने देगी. पुलिस अपने ही खिलाफ FIR इतनी आसानी से तो नहीं होने देगी.

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