एक बहुत लंबे अरसे से मुसलमानों को आतंकवादी करार देने की प्रथा चल रही है. सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो मुसलमानों को बेगुनाह होते हुए भी आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार करके कई सालों तक जेल में बंद रखा जाता है. फिर एक समय के बाद उनको बाइज्जत बरी कर दिया जाता है. यह कहकर कि आप के खिलाफ जो सबूत पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा पेश किए गए हैं वह आपके खिलाफ साबित नहीं हो पाए हैं.
आप ध्यान दीजिए अगर कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी के 10 साल या 20 साल बेगुनाह होते हुए भी जेल में बिता ले उसके बाद वहां से छूट कर वापस आने के बाद उसकी सामाजिक जिंदगी क्या रह जाएगी? उसके परिवार का क्या हश्र हुआ होगा? उसकी आगामी जिंदगी का क्या होगा?