क्या कांग्रेस को केवल मुसलमानों का वोट चाहिए मगर चुनावी प्रत्याशी नहीं बनाएंगे?

जहां कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं, ओबीसी की राजनीति के मुद्दे को जोर शोर से उठाते हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी कांग्रेस टिकट बंटवारे में इन सब चीजों को दरकिनार कर देती है।

पूरे देश में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की बातें करने वाले राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस की तरफ से लोकसभा 2024 के लिए अभी तक 79 प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है।

इस पूरी लिस्ट में मुस्लिम उम्मीदवार केवल तीन (2.3%) है जबकि कांग्रेस की तरफ से दावा किया जा रहा है उसने 70% से ज्यादा प्रत्याशी ओबीसी, दलित और माईनोरिटी को बनाया है।

अजीब इत्तेफाक देखिये कांग्रेस को मुसलमानों का वोट तो चाहिए 100% मगर टिकट बंटवारे में हिस्सेदारी दो फीसदी!

क्या कांग्रेस की नजर में खास तौर पर मुसलमान की हैसियत अभी भी केवल वोटर की है। भाजपा की सम्प्रदायक राजनीती को हराने की बातें अपनी जगह सही है मगर आप राजनीतिक तौर पर जिस मुस्लिम समुदाय से एक तरफ़ा तौर पर वोट लेना चाहते हैं उसको टिकट बंटवारे में उचित भागीदारी नहीं देंगे तो उस समाज के मन में शंका जरूर पैदा होगी।

हाल ही में कांग्रेस द्वारा लोकसभा चुनाव के तहत 36 उम्मीदवारों का चयन किया गया है जिसमें प्रमुख तौर पर केरल, कर्नाटक और तेलंगाना की सीटों पर प्रत्याशियों का चयन किया गया है। इस पूरी लिस्ट को देखने के बाद आपको लगेगा कि मुसलमान को राजनीतिक भागीदारी के नाम पर कांग्रेस की तरफ से एक बार फिर ठेंगा दिखा दिया गया है।

आप खुद अंदाजा लगा लीजिए कि जिस केरल में मुस्लिम आबादी 27 फ़ीसदी है वहां पर भी अधिकतर सीटों पर कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवारों को नजर अंदाज कर दिया है।

अगर लोकसभा सीटों के हिसाब से भी बात करूं तो केरल में मलप्पुरम और पोन्नानी ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां पर मुस्लिम मतदाता 50 फ़ीसदी से भी ज्यादा है। इसके अलावा कोझिकोड, कासरगोड, वटकारा में भी मुस्लिम मतदाता 31 से 40 फीसदी हैं।

इसके अलावा वायनाड, कन्नूर, पलक्कड़, अलाथुर और मवेलिकारा सीटों में भी मुस्लिम मतदाता की गिनती 21 से 30% है।

हैरानी की बात ये है कि इन सीटों पर इतने मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद जब आप कांग्रेस की लोकसभा टिकट बंटवारे को देखेंगे तो आपको समझ में आएगा कि मुसलमानों को एक तरफ़ा तौर पर दरकिनार कर दिया गया है।

वही जिस कर्नाटक में हालिया विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने एक मुश्त तौर पर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था वहां पर भी मुस्लिम समाज को उम्मीदवारी के नाम पर इस बार दोबारा से एक बड़ा जीरो मिला है।

वहीं जिस तेलंगाना में मुस्लिम मतदाता चुनावी तौर पर बेहद प्रभावशाली हैं वहां पर भी मुसलमानों को कांग्रेस की तरफ से टिकट बंटवारे के नाम पर अंडा दिया गया है। ज़हीराबाद और चेवेल्ला दोनों सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है मगर टिकट बंटवारे में क्या मिला? कुछ नहीं!

अब कुल मिलाकर बात यह है कि एक तरफ तो राहुल गांधी और कांग्रेस आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं मगर दूसरी तरफ जब उसी बात को टिकट बंटवारे में साबित करने में समय आता है तो आप हर बार ठेंगा दिखा जाते हैं।

  • क्या आपकी नजर में मुसलमान केवल वोटर की हैसियत ही रखता है?
  • उसको सांसद विधायक बनने का कोई हक नहीं है?
  • क्या मुस्लिम केंद्रित सीटों पर भी मुसलमान को चुनाव लड़ने का हक नहीं है?

अगर है तो फिर आप टिकट बंटवारे में मुसलमान को दरकिनार क्यों कर रहे हैं?

इस बात का जवाब आपको देना ही होगा अगर आप मुस्लिम समुदाय से एक तरफ़ा समर्थन की उम्मीद रखते हैं तो……!

ऐसे ना चलेगा भाई मुसलमान अब इतना भी गधा नहीं रहा थोड़ा राजनीतिक समझदार हो चुका है।

Previous post अग्निवीर (Agniveer) मोदी सरकार का युवाओं के साथ सबसे बड़ा धोखा
Next post मोदी जी का डंका विश्व में और छुट्टा बेरोजगारी को नौकरी चाहिए !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *