उत्तर प्रदेश की लोकसभा की राजनीति की बात करें तो यहां पर 80 लोकसभा सीटें हैं। आगामी 2024 के मद्देनजर सभी पार्टियां अपने गुणा गणित में व्यस्त है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा एकतरफ़ा तौर पर जीत रही है।
मोटे तौर पर बात की जाए तो यहां की लोकसभा राजनीति चार मुख्य पार्टियों के दरमियान केंद्रित हैं। बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस इसके मुख्य खिलाड़ी हैं। इसके अलावा और भी बहुत सारी छोटी-मोटी पार्टियां यहां की राजनीती में सरगर्म हैं।
अब अगर मैं मुस्लिम राजनीति और मुस्लिम मतदाताओं के हिसाब से इन 80 लोकसभा सीटों को देखूं तो पता चलेगा कि रामपुर और संभल की दो सीटें मुस्लिम बहुल अर्थात 50% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता वाली सीटें हैं।
इसके अलावा छह लोकसभा सीटें मुरादाबाद, नगीना, सहारनपुर, कैराना, बिजनौर और मुजफ्फरनगर है जहां पर मुस्लिम मतदाता 40 से 50% की गिनती में पाए जाते हैं।
इसके अलावा पांच सीटें ऐसी भी है जहां पर मुस्लिम मतदाताओं की गिनती 31 से लेकर 40% तक है इनमें अमरोहा, श्रावस्ती, मेरठ, बहराइच और आंवला की सीट शामिल है।
इसके अलावा एक बड़ी गिनती में ऐसी सीटें हैं जहां पर मुस्लिम आबादी 20 से 30% के दरमियान है और यह मुस्लिम राजनीति के हिसाब से काफी अहम मानी जाती है। इन सीटों में डुमरियागंज, बागपत, बरेली, बदायूं, गाजियाबाद, पीलीभीत, कैसरगंज, गोंडा बाराबंकी, बुलंदशहर, लखनऊ, मोहनलालगंज, खीरी, धौरहा, सीतापुर और अलीगढ़ जैसी सीटें शामिल है।
यहां पर ध्यान दीजिएगा कि मुस्लिम केंद्रित लोकसभा सीटों की जब बात करते हैं तो दो सीटें तो ऐसी हैं जो मुस्लिम बहुल होने के बावजूद भी परिसीमन के नाम पर दलित आरक्षित है। ये सीटें नगीना और बहराइच लोकसभा सीट है। इसके अलावा बाराबंकी और मोहनलालगंज पर भी मुस्लिम मतदाता की गिनती अच्छी खासी है जो परिसीमन में आरक्षित की गयी हैं।
इसके अलावा अगर मैं बाकी सीटों की बात करूं तो कई सीटें ऐसे भी हैं जहां पर 16 से 20 फ़ीसदी के दरमियान मुस्लिम मतदाता है। जो चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। जिसमें संत कबीर नगर, अमेठी, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर, महाराजगंज, घौसी, गौतम बुद्ध नगर, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, कानपुर, आजमगढ़, लालगंज, मिश्रिख और वाराणसी की सीटें शामिल है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के नीचे वाली पट्टी में बड़ी गिनती में ऐसी सीटें हैं जहां पर मुस्लिम आबादी 10 से 15 फ़ीसदी के दरमियान है और चुनावी नतीजा को तब्दील करने में एक ठीक ठाक भूमिका निभाती है। इन सीटों में बस्ती, अकबरपुर, प्रतापगढ़, हाथरस, कौशांबी, देवरिया, हरदोई, फर्रुखाबाद, इलाहाबाद, फूलपुर, कन्नौज, फतेहपुर, भदोही, फिरोजाबाद, चंदौली, एटा, रायबरेली, उन्नाव, मछली शहर, जौनपुर, गाजीपुर और बांसगांव शामिल है।
इसके अलावा 14 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम आबादी बहुत कम गिनती में रहती है मगर अपना थोड़ा बहुत चुनावी मैदान में रोल जरूर अदा करती है। जिनमें जालौन, फतेहपुर सीकरी, आगरा, गोरखपुर, सलेमपुर, मथुरा, बलिया, मिर्जापुर, इटावा, हमीरपुर, बांदा, रॉबर्ट्सगंज, मैनपुरी और झांसी आदि सीटें शामिल है।