तेजस्वी यादव द्वारा पूर्णिया (Purnia) में पप्पू यादव को लेकर दिया गया ब्यान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरे शब्दों में पूछें तो उनकी बिहार (Bihar) में अलग ही फिल्म चल रही है।
यह कहना कि या तो आप राजद की भीमा भारती को वोट दो वरना भाजपा को वोट दे दीजिए मगर पप्पू यादव (Pappu Yadav) को मत दीजियेगा उनकी निजी खुन्नस को जगजाहिर करता है।
इस हिसाब से तो फिर ये माना जाये कि तेजस्वी यादव को मोदी और भाजपा तो बहुत पसंद है मगर पप्पू यादव किसी कीमत पर चुनाव नहीं जीतना चाहिए। ये जो निजी दुश्मनी पाल के बैठे हैं यह इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि यह बंदा सीमांचल में AIMIM और अख्तरुल ईमान से कितनी खुन्नस खाता होगा।
ये ब्यान इस बात को भी साबित करने के लिए काफी है कि इस व्यक्ति ने सिवान में मरहूम शहाबुद्दीन साहब की फैमिली के साथ राजनीतिक तौर पर क्या क्या नहीं किया होगा। इनकी पार्टी के नेता लोग उस मामले में कितनी भी सफाई पेश करें क्या फर्क पड़ता है।
जब पूरा देश इस मामले में एकजुट है कि इस वक्त बीजेपी और मोदी सरकार को हराना प्राथमिकता होनी चाहिए, ऐसे समय में तेजस्वी यादव द्वारा अपनी निजी ईगो को संतुष्ट करने के लिए पप्पू यादव से इस प्रकार सार्वजनिक तौर पर राजनीतिक दुश्मनी निकालना बेहद अफसोसनाक है।
अगर राजनीतिक तौर पर भी देखें तो तेजस्वी के पिता लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) ने राजनीतिक तौर पर कम से कम इस प्रकार की सार्वजनिक गलतियां तो नहीं की है जो सीधे तौर पर उनकी पार्टी को पूरे प्रदेश की बाकि 39 लोकसभा सीटों में नुकसान पहुंचाये।
बाकि तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) का ये ब्यान बेहद शर्मनाक है, था और आगे भी रहेगा जब तक सार्वजनिक तौर पर इसकी माफ़ी न मांग लें।