सम्प्रदायकता के लिए केवल BJP नहीं दोषी, 40% वोट देने वाले भी नफरती..

देश की राजनीति भी एक अलग ही पगडंडी पर चल रही है। मुसलमान नमाज पढ़ ले तो एक बड़ी गिनती को तकलीफ शुरू हो जाती है। मुसलमान विधायक बन जाए तो अलग गैस हो जाती है।

मुसलमान बगल में फ्लैट या घर ले ले तो अलग ही टाइप की तकलीफ हो जाती है।

ऐसा मत कहिए कि पूरे प्रकरण में केवल भाजपा ही दोषी है इस अपराध में एक बड़ा योगदान समाज का भी है।

वही समाज जो मुसलमानों से नफरत के मामले में अपनी पराकाष्ठा पार कर चुका है। यह नफरत कोई एक दिन की नहीं है बल्कि यह दिलों में बहुत दिनों से पनप रही थी जिसको बस भाजपा के संरक्षण में उफान पर जाने का मौका मिल गया।

सोचिए ना एक तरफ तो सत्ता की कुर्सी पर बैठे हुए लोग संविधान के नाम पर शपथ लेते हैं कि वो धर्मनिरपेक्ष रहकर सत्ता को चलाएंगे मगर दूसरी तरफ मुसलमान को प्रताड़ित करने के लिए हर वह काम करते हैं जिसका सीधा असर उनकी दिनचर्या और धार्मिक मामला में होता है।

एक प्रदेश का मुख्यमंत्री या देश का प्रधानमंत्री हिंदू धार्मिक रीति रिवाज में खुलेआम शामिल हो सकता है, उसका प्रचार प्रसार कर सकता है मगर एक मुसलमान विधायक सांसद अगर जुम्मे के दिन कुछ समय के लिए नमाज पढ़ने चला जाए तो दुनिया को तकलीफ होने लगती है।

आप बंद कर दीजिए यह धर्मनिरपेक्ष होने का ढोंग!

सीधा कहना चाहिए कि हम सिर्फ एक धर्म के तुष्टिकरण की राजनीति की बदौलत सत्ता संभाल रहे हैं और आगे भी यही करते रहेंगे। यह जबरदस्ती का चोला उठाकर फेंक दीजिए।

भाजपा के लोगों को केवल दोष देने से कुछ नहीं होगा। समाज का एक बड़ा तबका भी इस नफरत की आग में घी डालने का काम कर रहा है।

एक मुसलमान अगर कहीं घर या फ्लैट ले लेता है तो वहां का पड़ोसी पूरा मोहल्ला कहता है क्योंकि हम हिंदू हैं इसलिए हम एक मुसलमान को अपने बराबर में बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह हमारे स्टैंडर्ड के नहीं है, इनके पास इतने पैसे कहां से आ गए।

एक मुसलमान के नमाज पढ़ने से तो पूरे चिरकुट गिरोह को इस बात की तकलीफ होने लगती है कि मुसलमान 2 मिनट की नमाज कैसे पढ़ सकता है जबकि इसी देश में कांवड़ यात्रा के नाम पर महीने भर तक एक पूरा रास्ता बंद रहता है।

यह जबरन का ढोंग बंद हो जाना चाहिए और एक 40% आबादी जो अपने पूर्ण समर्थन के साथ भाजपा को हिंदू मुसलमान की राजनीति के नाम पर ही वोट देकर सत्ता में विराजमान करती है उनका चेहरा पूरी दुनिया के सामने खुलकर उजागर होना चाहिए।

यह वही लोग हैं जिनको अपने घर की परवाह नहीं है बस मुल्लों की चूड़ी टाइट होनी चाहिए। घर में चाहें खाना बने या ना बने मुसलमान का बहता हुआ खून दिखना चाहिए।

मुसलमान के उजड़ जाने पर यह जो चरम सुख हासिल करने की आदत एक बड़ी गिनती को हो चुकी है उसके लिए केवल भाजपा दोषी नहीं हो सकती है।

भाजपा ने तो बस उसका फायदा उठाया, संपूर्ण दोष उन्हीं लोगों का है जिनके दिमाग में यह सुलेमानी कीड़ा बरसों से भरा हुआ है।

याद रखिएगा जब जंगल में आग लगती है ना तो बचता कोई नहीं है। अभी तो दूसरों के घर राख होते हुए देख कर बहुत मजा आ रहा है जब इस आग की लपेट में अपना घर आएगा तब इसको ना खुद बुझा पाओगे ना कोई समर्थन में आएगा।

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