जब लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत हुई थी ऐसा लग रहा था कि भाजपा बहुत आसानी से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत पूरे भारत (India) में अधिकतर सीटें आसानी से जीत जाएंगे।
यही वह मिजाज था जिसकी वजह से मौजूदा तानाशाही सत्ताधारी पार्टी भाजपा (BJP) ने 400 पार का नारा दिया था। भाजपा को लगता था वह विपक्षी नेताओं की चूड़ी टाइट करके पूरे माहौल को अपने पक्ष में कर लेगा मगर बीच में जनता आ गयी।
जनता ने पकड़ के सत्ताधारी पार्टी की चूड़ी टाइट कर दिया। पहले दो चरण के चुनाव में मतदान का रुझान उल्टा पड़ता देख सत्ता को एहसास हुआ कि चूड़ी तो हमें किसी और की टाइट करनी थी मगर हम तो केवल भी विपक्षी नेताओं के ही पीछे लगे रहे।
फिर क्या था लग गया पूरा तंत्र रामपुर उपचुनाव को दोहराने में! किसी भी उस सीट को मतदान से वंचित कर दिया जाए जहां पर मुसलमान और यादव निर्णायक हो।
बात चाहे आप संभल (Sambhal) की करें, बदायूं (Budaun) की करें या किसी और सीट की। सत्ता ने अपने अहंकार में आकर इस पर विपक्षी नेताओं की जगह जनता को अपना शिकार बनना शुरू कर दिया।
महिलाओं को इतनी बुरी तरीके से मारा गया कि वह अपने जख्म दिखा भी नहीं सकती हैं। पुलिस प्रशासन लगातार लाठी चार्ज करते हुए पूरे के पूरे पोलिंग बूथ को ही खाली करवा ले रहा है।
लोग इतने शदीद जख्मी है कि बूथ के बाहर सड़क पर गिरे हुए हैं। सैकड़ो वीडियो ऐसी है जिसमें पुलिस (UP Police) के लाठीचार्ज की वजह से जख्मी हुए मतदाता अपने जख्मों को दिखा रहे हैं।
वोटर के इन जख्मों को देखकर भी चुनाव आयोग मंद मंद मुस्कुरा रहा है मानो ऐसा लग रहा हो वह जानबूझकर अपनी आंखें मूंद कर गहरी नींद में सोने का नाटक कर रहा हो।
वैसे मेरे हिसाब से तो चुनाव आयोग की श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन कर लेना चाहिए क्योंकि चुनाव आयोग इस लोकसभा चुनाव में पूरी तरीके से निकम्मा और निठल्ला बन कर बैठा है।
थोड़ी करवाई भी होती है तो शिकार केवल विपक्षी पार्टियों के नेता ही होते है। सत्ताधारी पार्टी के सितम को देखते ही उसकी टांगें कांपने लगती है। वह सोचता है कि आखिर में वो सत्ता को बोले तो बोले क्या, आखिर कैसे कार्रवाई कर दे, कहीं कुछ किया तो साहेब नाराज ना हो जाए।
संभल में आज जो कुछ भी हो रहा है वह भारत के राजनीतिक इतिहास में काले अध्याय के तौर पर दर्ज होगा। हमेशा आने वाली नस्लों को बताया जाएगा कि जिस लोकतंत्र के पर्व को मनाने की बातें की जाती है उसी में मतदाता को उसके सबसे बड़े अधिकार से दूर करने के लिए पुलिस प्रशासन तंत्र एकजुट होकर डंडे के बल पर सब कुछ खत्म कर देना चाहता था।
सत्ता के नशे में चूर तंत्र लोकतंत्र को अपने पैरों के तले ऐसे रौंद देना चाह रहा है कि उसकी हैसियत एकदम सिरे से ही खत्म हो जाए।
चुनाव आयोग को विनम्र श्रद्धांजलि!!!
जय लोकतंत्र जय भारत