Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में मुसलमानों के साथ एक बार फिर गद्दारी!

महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में सेकुलर पार्टियों द्वारा मुसलमानों को राजनीतिक भागीदारी के नाम पर ठगना अब बहुत सामान्य बात हो चुकी है। वैसे तो ये सभी पार्टियां चुनावी मंचों से आबादी के हिसाब से राजनीतिक भागीदारी (Political Participation) की हिमायत करती है मगर जब टिकट बंटवारे की बात आती है तो ये सभी ठेंगा दिखा कर पतली गली से निकल लेते है।

मुसलमान अभी लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) में प्रदेश की सभी 48 सीटों में से एक भी सीट पर मुसलमान उम्मीदवार नहीं उतारने का दर्द भूले नहीं थे कि विधानसभा चुनाव में भी शिवसेना (Shivsena) और एनसीपी (NCP) उसी जख्म को दुबारे कुरेदने की फिराक में नजर आ रहे है।

शरद पवार का ठेंगा

शुरुआत करते है महाराष्ट्र में मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी होने का दावा करने वाले शरद पवार (Sharad Pawar) से, उन्होंने अपनी अपनी दो टुकड़े हो चुकी पार्टी के एक हिस्से एनसीपी (शरद पवार) {NCP Sharad Pawar} की तरफ से अभी तक 67 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे है। सबसे ख़ास बात पता है इसमें क्या है मुसलमानो (Muslims) को ठेंगा दिखाते हुए केवल एक सीट महबूब शेख (आष्टी विधानसभा) का शानदार उपहार दिया है।

मगर मजाल है कि मुसलमान जरा उफ्फ भी आकर दे। उल्टा आप कुछ बोल दो तो आपको ही भला बुरा बोलने लगेगा ऐसे मानो उसके बाप को गरिया दिया हो। सोचो इन 67 सीटों में कई सीटें ऐसी हैं जहां पर मुसलमानों की आबादी 15-20% है मगर टिकट बंटवारे में भाजपा (BJP) हराओ के नाम पर सभी मुस्लिम नेता किनारे लगा दिए गए है।

उल्टा एक मुस्लिम बहुल सीट मुंब्रा-कलवा (Mumbra-Kalwa) जहां पर 44% मुस्लिम मतदाता हैं वहां से जितेंद्र आह्वाड (Jitendra Awhad) को टिकट दिया है जो पिछले कई सालों से मुसलमानों के हक़ वाली एक सीट पर खुद नेता बन कर विधायकी के मजे उठा रहे है।

उद्धव ठाकरे का लॉलीपॉप

अब करते है बात नए नवेले सेकुलर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की, वैसे तो महाराज की पार्टी और बाप की पहचान सब कुछ छीना जा चुका है मगर इसके बावजूद महोदय अभी होश में नहीं आये है। मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने शिव सेना (Shiv Sena) का सारा वजूद तो ले लिया है मगर उद्धव ठाकरे अभी भी इस भ्रम में है कि जलवा बरक़रार है।

जबकि हकीकत ये है कि मुसलमानों के रूप में शिव सेना उद्धव ठाकरे को एक नया वोटर मिला है जिसके के एक तरफ़ा समर्थन का नतीजा हमें लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। मगर हैरानी की बात तो ये है कि जिन मुसलमानों ने अपनी सभी पुरानी बातों को भुला कर शिव सेना को एक मुश्त समर्थन दिया था उसी पार्टी के मुखिया टिकट बंटवारे में मुसलमानों को साइड लगाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ते हैं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी ने अभी तक 83 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किये है जिसमें से केवल वर्सोवा (34% मुस्लिम मतदाता) विधानसभा से हारुन खान को पार्टी का उम्मदीवार घोषित किया गया है जबकि एक तल्ख़ हकीकत ये है कि जिन सीटों पर शिव सेना चुनाव लड़ रही है उनमें अधिकतर सीटों पर मुस्लिम मतदाता कम से कम 10 फीसदी जरूर है।

वैसे जिन मुसलमानों ने पार्टी को एक मुश्त समर्थन दिया हो उनको कई मुस्लिम केंद्रित सीटों पर भी दरकिनार करना मुसलमानों में उद्धव ठाकरे के प्रति नाराजगी की वजह बनेगा।

मुस्लिम मतदाता निर्णायक मगर टिकट से वंचित

उदाहरण के तौर पर भायखला (42% मुस्लिम मतदाता), औरंगाबाद मध्य (39% मुस्लिम वोटर), वांद्रे पूर्व (33% मुस्लिम मतदाता), कलीना (25% मुस्लिम वोटर), परभणी (25% मुस्लिम वोटर), बालापुर (24% मुस्लिम मतदाता), धुले शहर (22% मुस्लिम वोटर) आदि वाली सीटों पर भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया गया है।

इसके अलावा परिसीमन के नाम पर भी मुसलमानों की कई सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी नहीं मिले है। जैसे कुर्ला विधानसभा जहां 31% मुस्लिम मतदाता है मगर दलित आरक्षित होने की वजह से मुसलमान यहाँ से चुनाव नहीं लड़ सकता है। ऐसी ही वाशिम (20% मुस्लिम मतदाता) और औरंगाबाद पश्चिम (18% मुस्लिम वोटर) सीट पर भी परिसीमन की वजह से मुस्लिम प्रत्याशी का रास्ता बंद है।

इसके अलावा शिवसेना उद्धव ठाकरे द्वारा घोषित सीटों का गहरायी से अध्यन करेंगे तो पता चलेगा कि कई और सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता निर्णायक है मगर फिर भी उसको प्रत्याशी बनाना गवारा नहीं समझा गया है।

जैसे कि सिलोड (20%), नासिक मध्य (20%), बुलढाणा (16%), सोलापुर दक्षिण (16%), जलगांव शहर (15%), घाटकोपर पश्चिम (15%), बडनेरा (15%), जोगेश्वरी पूर्व (15%), अँधेरी पूर्व (14%), रत्नागिरी (14%) आदि सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता प्रभावशाली है मगर टिकट बंटवारे में खाली हाथ रह गया है।

अब सोचिये जिस शिवसेना ने मुसलमानों को टिकट बंटवारे में ठेंगा दिखा दिया हो वो उम्मीद करेगी कि भाजपा को हराने के नाम पर इन सीटों पर निर्णायक मुस्लिम मुसलमान मतदाता आंखें बंद कर के बिना सवाल जवाब उनका समर्थन करते हुए एक मुश्त वोट कर दे तो ये अपने आप में धूर्त होने की पराकाष्ठा है।

Previous post Karnataka High Court; “मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती है”
Next post Maharashtra Election 2024; कांग्रेस ने मुसलमानों को चुनाव में फिर ठेंगा दिखाया!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *