आज देश की सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की भाजपा सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें उन्होंने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के साथ गैंगरेप करने वाले सभी आरोपियों को संस्कारी बताकर रिहाई प्रदान की थी।
2022 में जब पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने में व्यस्त था तो कुछ आदमियों नहीं हैवानों की रिहाई ने इस आज़ादी के मतलब को ही उलट पुलट दिया।
लाल किले की प्राचीर से 2022 के स्वतंत्रता दिवस के मौके अपने डेढ़ घंटे के मैराथॉन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने महिलाओं के सम्मान को लेकर समाज को नसीहत दी मगर हैरानी तो तब हुयी जब मोदी जी के ज्ञान को धत्ता बता कर गुजरात (Gujarat) की भाजपा (BJP) सरकार ने 11 बलात्कारियों और कातिलों को रिहाई प्रदान कर दी।
क्या कहर टूटा होगा बिलकिस पर
एक औरत जिसके सामने उसके परिवार के 14 सदस्यों, जिसमें उनकी 3 साल की मासूम बेटी भी थी को उन वहशी दरिंदों ने मौत के घाट उतर दिया हो और उसके साथ 5 महीने की गर्भवती होने के बावजूद सामूहिक बलात्कार किया गया हो, ज़रा ठहर कर सोचिये उसके दिल पर इस फैसले के बाद क्या कहर टूटा होगा?
इस फैसले के बाद बिलकिस बानो ने साफ़ तौर पर अपने ब्यान में कहा है कि इन 11 आरोपियों की रिहाई ने उनके न्याय व्यवस्था पर किए गए भरोसे को एक तोड़ कर चकनाचूर कर दिया है। इस अन्यायपूर्ण फैसले ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, वह दोबारा उस डर के माहौल में जीने को मजबूर हो गई हैं, जिससे उन्होंने बड़ी मुश्किल से मुक्ति पाई थी।
फूल मालाओं के साथ स्वागत?
गैंगरेप के सभी दोषियों के नाम अपने ज़ेहन में अच्छे तरीके से बसा लीजिये, जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना लेकिन अब यहां एक अलग कहानी शुरू होती है, आप सभी लोगों ने वह वायरल वीडियो तो देखी होगी जिसमें यह दरिंदे जेल के बाहर रिहाई के बाद खड़े है और कुछ लोग इनका फूल मालाओं के साथ स्वागत कर रहे है और सोने पर सुहागा तो तब हुआ जब एक महोदय ने एक दरिंदे को लड्डू खिलाते हुये पांव छू कर आशीर्वाद तक लिया।
कहानी यही नहीं ख़त्म होती है है. कहा जाता है एक औरत का दुःख दूसरी औरत ही समझ सकती है मगर इधर तो कहानी ही उल्टी है। चंदन का टीका और आरती की थाली के साथ इन हैवानों का स्वागत हो रहा है।
मामले में सबको पीछे छोड़ते हुये भाजपा विधायक सी के राउलजी ने तो इन दरिंदों को ब्राह्मण और संस्कारी तक बता दिया और एक पत्रकार महोदय को इन्हें दोषी कहने से भी मना फरमाया। विधायक महोदय का सीधा अर्थ था कि अगर आप ब्राह्मण है इसलिए आपको किसी के भी बलात्कार की आज़ादी है।
हैवानियत की पराकाष्ठा देख चुकी एक औरत के साथ इससे भद्दा मज़ाक शायद नहीं हो सकता है। बिलकिस बानो के आत्मसम्मान को इस समाज और तथाकथित सत्ता पक्ष ने दफ़न कर दिया है, यक़ीनन आप ज़रूर देखेंगे कि इन्हीं में से ज़्यादातर लोग आपको कुछ अरसे बाद महिला सम्मान पर ज्ञान देते हुये मिल जाएंगे, बिलकिस बानो की तकलीफ का अंदाज़ा शायद इस वक्त कोई नहीं लगा सकता है।