बात तो “मुल्ले टाइट” करने की हुयी थी बीच में ये सामान्य वर्ग हिंदू युवा आ गया है। माना कि असम के 34% मियां मुसलमान की EWS आरक्षण ख़त्म करने से चूड़ी टाइट हुयी होगी मगर इस चक्कर में 61% हिंदू युवा का बलिदान क्यों लिया जा रहा है।
गाजे बाजे के साथ ऐलान हुआ था कि भाजपा की सरकार ने असम में सरकार बनाई है अब हिंदू खतरे में नहीं रहेगा मगर फिर 22 दिसंबर 2022 को फायर ब्रांड मुख्यमंत्री महोदय हेमंत बिस्वा सरमा ने 10% EWS आरक्षण को खत्म करने की घोषणा के साथ हिंदू युवाओं की जॉब को खतरे में डाल दिया।
असम का मियां मुसलमान को तो केवल पंचर लायक ही बनाया जायेगा। उनको शिक्षा रोजगार की क्या जरूरत है। वैसे असम का मियां भाई भी अलग वहम में खुश है कि उनकी ज्यादा आबादी OBC का लाभ उठा रही है EWS से उनको क्या नुक्सान!
असामी मुसलमानों के भ्रम का आलम तो देखो हालिया असम सिविल सर्विस में पास हुए 12 मुस्लिम युवाओं में से 11 युवा जनरल श्रेणी से है इसके बावजूद इनको लगता है कि EWS आरक्षण के खत्म होने का नुक्सान तो केवल हिंदू समुदाय के युवाओं को ही होगा।
वैसे एक सवाल तो हिंदू समुदाय के युवाओं से भी है कि “मुल्लों की चूड़ी टाइट” ने आपको इतना मंत्रमुग्द कर दिया है कि अपने भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ पर भी चुप्पी साध रखी है।
एक बात हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के सामान्य वर्ग के युवाओं को अच्छे से अपने गांठ बांध लेनी चाहिए कि ये किसी की चूड़ी टाइट करने के चक्कर में आपके वर्त्तमान और भविष्य की लंका लगायी जा रही है।
वक्त रहते अपने हितों को ध्यान में रखते हुए असम में EWS आरक्षण की बहाली के लिए आवाज बुलंद करिये वर्ना रोने के लिए आंसू भी नहीं बचेंगे !