हाल ही में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की यूपी इकाई की एक मीटिंग थी जिसमें अखिल भारतीय नारा लगाओ विभाग के अखिल भारतीय अध्यक्ष शायर महोदय शेखी बघार रहे थे इतने में महासचिव महोदया के दिल में कुछ ख्याल आया और उन्होंने भरी महफ़िल में राजनीतिक मज़ा लेते हुए कहा कि पहले प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ो और जीतो।
बस इतना सुनना था कि महफ़िल में एक अजब सी ख़ामोशी पसर गयी। मानो ऐसा लग रहा हो कि किसी के जुम्मा जुम्मा चार दिन पहले शुरू हुए राजनीतिक करियर को श्रद्धांजलि देने की तैयारी चल रही हो। बात बात में मिसरों की बौछार करने वाले शायर महोदय अचानक से मिसरे के नाम पर हकलाने लगे।
बताओ भला बड़ी मुश्किल से हाथ पैर जोड़ कर राज्यसभा का इनाम पाया था उस पर भी कम्बख्तों की ऐसी नजर! कभी कहते हैं विपक्षी एकता के नाम पर अपनी सीट से इस्तीफा दे दो, कभी कहते है लोकसभा लड़ लो! भाई किस जन्म की दुश्मनी निकाल रहे हो कुछ पल तो बिताने दो सरकारी कोठी में।
अब सोचो मुरादाबाद में कैसे बेदर्द लोग रहते है जिन्होंने ऐसे विश्व विख्यात शायर महोदय को केवल 4.6% वोट दिया था वो भी लोकसभा चुनाव में। इससे ज्यादा तो हमारे यहां लोग निर्दलीय जिला पंचायती में वोट पा लेते हैं।
चलो माना प्रतापगढ़ मेरा घर है मगर वहां के लोग भी कतई मुरादाबादी हो रहे हैं। बताओ भला तीन बार की सांसद रही राजकुमारी जी को हमारी पार्टी के नाम पर जमानत तक जब्त करवा दिए। ऐसे कौन करता है भला! अब मैं भी वहां से लड़ा तो ये लोग तो मेरी इज्ज़त भी नीलाम करवा देंगे।
अपुन महाराष्ट्र की राज्यसभा में बहुत खुश है। उड़नखटोला में घूम घूम हैदराबादी पाशा को बी टीम बोलने का मज़ा तुम लोग क्या समझोगे! दुबारा ऐसा मजाक बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। जिसने भी ये मोये-मोये मोमेंट बनाया है उसको मेरी हाय-हाय लगेगी।