5 राज्यों के चुनावी नतीजों में कांग्रेस की मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद कई तरह के सवाल राजनीतिक मंडी में गर्दिश कर रहे हैं। एक सवाल बड़े पैमाने पर जो उभर कर आ रहा है कि इन चुनावों में मुसलमानों का रुझान क्या था। इसको समझने के लिए हमें इस पूरे चुनावी नतीजों को गहरायी से समझना होगा।
राजस्थान:
राजस्थान की 199 सीटों पर चुनावी नतीजों में 115 सीटों के साथ भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं 5 साल सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को केवल 69 सीटें ही मिली हैं। वहीं 8 निर्दलीय (7 भाजपा बागी और 1 कांग्रेस बागी) ने भी चुनाव में सफलता हासिल की है। बसपा ने 2 सीटें और भारतीय आदिवासी पार्टी ने 3 सीटों को अपने खाते में डाला है।
इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था जिसमें से 5 ने जीत हासिल की है। कांग्रेस के 8 मुस्लिम प्रत्याशी दूसरे नंबर पर और 2 प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहें हैं। इसके अलावा यूनुस खान निर्दलीय (भाजपा वसुंधरा समर्थक) भी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। वहीं नागौर ने कांग्रेस से टिकट कटने पर पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे नंबर पर रहे।
खास बात ये रही कि तिजारा विधानसभा से कांग्रेस के इमरान खान 104036 वोट हासिल करने के बावजूद बाबा बालकनाथ से केवल 6173 वोटों से चुनाव हारे हैं। वहीं नगर विधानसभा से वाजिब अली 74048 वोट हासिल करने के बावजूद नेम सिंह (असपा) के 46314 वोट लेने की वजह से भाजपा प्रत्याशी से केवल 1531 वोट से हारे हैं।
नासिर जुनैद के मामले की वजह से जनता के रोष का सामना कर रही पूर्व मंत्री जाहिदा खान कामां सीट पर तीसरे नंबर पर रही हैं। भाजपा प्रत्याशी नौक्षम चौधरी ने निर्दलीय मुख्तियार अहमद को 13906 वोट से हराया है। वहीं हॉट सीट शिव से निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी (भाजपा समर्थक) ने निर्दलीय फतेह खान को 3950 वोट से हराया है और कांग्रेस प्रत्याशी अमीन खान इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे हैं।
राजस्थान चुनाव 2023 में जीते हुए मुस्लिम प्रत्याशी:
- रफीक खान – आदर्श नगर
- हाकम अली खान – फतेहपुर
- अमीन कागजी – किशनपोल
- ज़ाकिर हुसैन गैसावत – मकराना
- जुबैर खान – रामगढ़
- यूनुस खान – डीडवाना
राजस्थान चुनाव 2023 में हारने वाले मुस्लिम प्रत्याशी:
- इमरान खान – तिजारा
- दानिश अबरार – सवाई माधोपुर
- नसीम अख़्तर इंसाफ – पुष्कर
- जाहिदा खान – कामां
- नईमुद्दीन गुड्डू – लाडपुरा
- सालेह मोहम्मद – पोकरण
- रफीक मंडेलिया – चुरू
- अमीन खान – शिव
- शहजाद खान – सूरसागर
- वाजिब अली – नगर
- हबीबुर्रहमान – नागौर
विश्लेषण:
अगर मुस्लिम राजनीतिक भागीदारी की बात करें तो एक बात समझ आयेगी कि इस बार भी आबादी के अनुपात में लगभग मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इन उम्मीदवारों को वोट के रूप में जनता का अच्छा समर्थन भी हासिल हुआ है मगर जीते हुए उम्मीदवार पहले के मुकाबले में काफी कम है।
अगर ओवरआल बात करें तो राजस्थान में मुसलमानों ने कांग्रेस को एक तरफ़ा वोट दिया है मगर कुछ सीटों पर सत्ताधारी विधायक से नाराजगी की वजह से निर्दलीय को भी समर्थन हासिल हुआ है। इस चुनाव में AIMIM भी मैदान में थी मगर उनका ग्राउंड पर कोई असर नहीं हुआ और सभी अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं। यहां तक के मजलिस के प्रदेशाध्यक्ष जमील खान को हवा महल सीट पर केवल 588 वोट मिले हैं। उनसे ज्यादा वहां पर NOTA को 1463 वोट प्राप्त हुआ है।
मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश की 230 सीटों के चुनाव में भाजपा 163 सीटों के साथ बंपर बहुमत के साथ चुनाव जीत सत्ता पर काबिज हुयी है। वहीं कांग्रेस को केवल 66 सीटों के साथ विपक्ष में बैठना पड़ेगा। एक सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी का उम्मीदवार भी चुनाव जीता है। हैरानी की बात है कि इस चुनाव के नतीजों के बाद पहली बार सपा और बसपा का कोई भी विधायक मध्य प्रदेश विधानसभा में पहुँचने में नाकाम रहा है।
मुस्लिम उम्मीदवारी के मामले में कांग्रेस ने 230 में से 2 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया था और दोनों ही प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। भोपाल मध्य से आरिफ मसूद एक तरफा तौर पर 82371 वोट हासिल कर के चुनाव जीते हैं। वहीं भोपाल उत्तर से पूर्व विधायक आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील 26987 के मार्जिन से अपना चुनाव जीते हैं।
मध्य प्रदेश चुनाव 2023 में जीते हुए मुस्लिम प्रत्याशी:
✔ आरिफ मसूद – भोपाल मध्य
✔ आतिफ अकील – भोपाल उत्तर
कुछ और सीटें भी थी जहां मुसलमानों का वोट निर्णायक था वहां भी अधिकतर जगह कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव जीता है। जैसे जबलपुर पूर्व सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लखन घनघोरिया मुसलमानों के एक मुश्त वोट की वजह से 95673 वोट हासिल कर विजयी रहे हैं। इसी तरह सेंधवा की सीट पर भी कांग्रेस उम्मीदवार मोंटू सोलंकी 106136 वोट हासिल कर के विधायक बनने में सफल रहे हैं। ऐसे ही माहिदपुर विधानसभा सीट पर भी दिनेश जैन 75454 वोट के साथ चुनाव जीतने में सफल रहें हैं।
भोपाल की दो सीटों को छोड़ बुरहानपुर विधानसभा को भी मुस्लिम केंद्रित माना जाता है। इस सीट पर टिकट बंटवारे के समय एक निर्दलीय को टिकट देने पर व्यापक तौर पर बगावत हो गयी थी। जिसमें पूरी कांग्रेस टीम और सभी 23 कोंग्रेसी पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया था इसके बावजूद सुरेंद्र शेरा के टिकट पर पुनर्विचार नहीं किया गया जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनावी नतीजों में देखने को मिला है। भाजपा की अर्चना दीदी 31171 वोटों से चुनाव जीत गयी। यहां पर ध्यान दीजिए कि कांग्रेस से बगावत कर AIMIM से खड़े नफीस मंशा पठान को 33853 वोट हासिल हुए हैं। वहीं भाजपा के बागी हर्षवर्धन चौहान ने भी 35435 वोट हासिल किये हैं।
विश्लेषण:
मुस्लिम राजनीतिक भागीदारी की बात करें तो मध्य प्रदेश के चुनाव में किसी भी पार्टी ने आबादी के हिसाब से मुसलमानों को टिकट नहीं दिया है। वहीं जीतने वाले 2 मुस्लिम उम्मीदवार भी अपनी परम्परागत मुस्लिम बहुल सीट से जीते हैं। वहीं AIMIM ने भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर उसका कोई प्रभाव नहीं रहा है केवल बुरहानपुर की सीट को छोड़ कर। वहां पर भी कांग्रेस की अंदरूनी बगावत हार की मुख्य वजह रही है। इस चुनाव में वोट के मामले में भी मुसलमानों का समर्थन कांग्रेस को एक तरफा ही रहा है।
छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ की 90 सीटों के चुनाव में भाजपा 54 सीटों के साथ बहुमत हासिल कर चुकी है। वहीं कांग्रेस को केवल 35 सीटों पर सिमिट गयी है। इसके साथ ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार ने केवल 714 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार को हरा कर एक सीट पर जीत हासिल की है।
बेहद कम मुस्लिम आबादी वाले राज्य छत्तीसगढ़ की राजनीति में मुसलमानों का कोई समीकरण नहीं है। एक मात्र मुस्लिम विधायक और मंत्री मोहम्मद अकबर इस बार कर्वधा से अपना चुनाव हार गए। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार की कई थ्योरी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय है।
पहली बात जो कही जा रही है कि आदिवासी समुदाय की लगातार अनदेखी और उत्पीड़न ने आदिवासी समुदाय को कांग्रेस से दूर कर दिया और ज्यादातर ST सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। दूसरा थ्योरी है कि सत्ताधारी कांग्रेस सरकार की तरफ से सॉफ्ट हिंदुत्व का मामला भी उल्टा पड़ा है। प्रदेश में लगातार ईसाई समुदाय को टारगेट किया जाना और उनका उत्पीड़न भी जनता की नाराजगी की वजह बनी है।