उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती का जब से नोटिफिकेशन निकला था तो उम्र सीमा को लेकर एक बवाल चल रहा था। जिसमें जनरल कैटेगरी के युवाओं के लिए केवल 22 साल की उम्र तय की गई थी जबकि वहीं दूसरे आरक्षित वर्गों के लिए यह उम्र सीमा 27 साल थी।
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर देशभर के लोगों ने ट्रेंड चलाया। लगातार सरकार पर प्रेशर डालने का काम किया ताकि वह उम्र सीमा को बढ़ाने का काम करें। क्योंकि यह पुलिस भर्ती 5 साल के बाद निकली है इस लिए युवाओं में इसे प्रति बेहद रोष था।
आखिरकार नतीजा यह निकला कि आज उत्तर प्रदेश सरकार ने बाकायदा नोटिफिकेशन जारी करके 3 साल की उम्र सीमा में छूट देने का फैसला लिया है।
उम्र सीमा बढ़ाने में मुस्लिम युवाओं का ज़ीरो रोल !
इस पूरे प्रकरण में मुसलमान युवाओं का रवैया मुझे बहुत तकलीफदेह लगा। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की लगभग आधी आबादी जनरल कैटेगरी में ही आती है।
खास तौर पर पश्चिमी यूपी का युवा पुलिस और सेना की भर्ती के लिए कई सालों तक मेहनत करता है। अगर ये भर्ती 22 साल की उम्र सीमा के साथ ही रहती तो इसकी वजह से बहुत सारे मुस्लिम युवा भी इस भर्ती में भाग नहीं ले पाते।
मगर मजाल है कि सोशल मीडिया या जमीनी सतह पर किसी मुस्लिम युवा ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई हो या जो पहले से ही आवाजें बुलंद थी उसमें भाग लिया हो।
मगर अब जब फैसला आया है तो इसका यकीनन लाभ मुस्लिम युवाओं को भी होगा मगर मेरी नजर में यह नैतिक तौर पर मुस्लिम युवाओं के लिए नहीं है!
क्योंकि आपने इस मुद्दे पर रत्ती भर भी आवाज नहीं उठाई है तो आपके लिए अभी भी नैतिक तौर पर उम्र सीमा 22 साल ही है।
अपने असल मुद्दों को पहचानना और उन पर मुखर आवाज उठाना सीखिए वरना आप हमेशा ऐसे ही पिछड़े हुए और प्रताड़ित रहेंगे, मुख्य धारा में शामिल होने का ख्वाब ख्वाब ही रह जाएगा।
धन्यवाद