सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को आदेश, बुलडोज़र पीड़ित को तुरंत 25 लाख मुआवज़ा….!

बुलडोज़र विध्वंस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लताड़ा 'आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातों रात मकान गिरा दें.'

उत्तर प्रदेश की जिस योगी सरकार (Yogi Government) ने बुलडोजर विध्वंस को ही अपनी अहंकारी सत्ता का प्रतीक बना रखा था उसको आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी फटकार लगी है!

अभी तक होता ये था कि मुस्लिम विरोधी राजनीति के चक्कर में भाजपाई शासन में बुलडोजर (Bulldozer) से किसी के भी घर तोड़ देने को नई परंपरा बना दिया गया था।

किसी भी व्यक्ति पर दोष सिद्धि से पहले आरोप लगने भर पर उसके घर को तोड़ देना मौजूदा समय में भाजपाई शासन का प्रतीक बन चुका था।

अधिकारियों पर कार्रवाई

जब सत्ताधारी पार्टी ही बुलडोजर विध्वंस को अपनी राजनीति का सबसे बड़ा तुरुप का इक्का बना चुकी हो तो गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होना तो अपने आप में बेईमानी सी बात है।

ऐसे में ना कभी पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा मिलता था ना ही कभी दोषी अधिकारियों पर करवाई होती थी मगर आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो आने वाले समय में इस बुलडोजर विध्वंस के खिलाफ एक नजीर बनेगा।

सबसे ज्यादा शिकार मुस्लिम

फ्रंटलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में डेढ़ लाख से ज्यादा घरों को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया गया है। इस बुलडोज़र विध्वंस की वजह से लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं। खास बात तो ये है कि इस बुलडोज़र अन्याय का सबसे ज्यादा शिकार मुस्लिम समुदाय ही हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उसका मामला यह था कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक व्यक्ति के घर को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर अतिक्रमण बताते हुए तोड़ दिया गया था।

जब यह मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचा तो प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

पीठ ने सीधे तौर पर भाजपा सरकार के मुख्य सचिव से कहा है कि महाराजगंज जिले में अवैध तरीके से जिस मकान को गिराया गया है इसकी निष्पक्ष जांच करवाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार का मतलब यह नहीं कि अचानक से बुलडोजर लेकर आए और रातों-रात मकान गिरा दें। आप कानून का पालन किए बिना या नोटिस दिए बिना किसी के घर में घुसकर उसे अचानक से ध्वस्त नहीं कर सकते हैं।

कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया है कि जिस पीड़ित व्यक्ति के घर को गिराया है उसे तुरंत 25 लाख रुपए का मुआवजा दीजिए।

कोर्ट ने अधिकारीयों की मनमानी पर पकड़ करते हुए राज्य सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आदेश को एक महीने के भीतर लागू किया जाना है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आगे कहा कि ‘याचिकाकर्ता ने बताया कि विध्वंस केवल इसलिए किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता ने समाचार पत्र की रिपोर्ट में सड़क निर्माण में खामियों को उजागर किया था। राज्य सरकार द्वारा इस तरह की कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और निजी संपत्ति से निपटने के लिए कानून का पालन किया जाना चाहिए।

भाजपा की राजनीति बुलडोज़र अन्याय पर टिकी….

अब आप खुद बताईये कि जिस भाजपा की पूरी राजनीति ही मुस्लिम विरोधी नीतियों पर टिकी हो वो बुलडोज़र अन्याय को ही अपने अहंकारी शासन की सबसे बड़ी कामयाबी बताते हैं।

मुसलमानों को बुलडोज़र के नाम पर प्रताड़ित करना मौजूदा समय में जोम्बी रूपी नारंगी संतरो के चरम सुख का प्रतीक बन चुका है। ऐसे में मुसलमानों के घरों पर दुकानों पर बुलडोज़र विध्वंस होना भाजपा सरकारों की सत्ता में बने रहने और उसके वोटर की बड़ी गिनती के लिए किसी कामयाबी से कम नहीं है।

ऐसे नाजुक समय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा योगी सरकार जो खुद को बुलडोज़र बाबा के उपनाम से पहचान दिलवाती है उसको फटकार लगाना अपने आप में बड़ी बात है। बुलडोज़र अन्याय के पीड़ित को 25 लाख का मुआवजा आने वाले समय कई परिवारों के लिए सरकारी उत्पीड़न के खिलाफ राहत का प्रतीक बनेगा।

सबसे बड़ी बात तो यही है कि इस फैसले के बाद बुलडोज़र विध्वंस करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक करवाई होने की भी परंपरा शुरू होगी जो गरीब, पीड़ित, पिछड़े और मुसलमानों को सरकारी उत्पीड़न से कुछ तो राहत देने का काम करेगी।

Previous post सेकुलर राजनीति के चक्कर में पिस्ता मुस्लिम युवा का भविष्य!