कांग्रेस की मध्य प्रदेश में बुरी पराजय की समीक्षा

आप सभी को याद होगा कि कुछ समय पहले तक कांग्रेस की पूरी गैंग यह कहते हुए पाई जा रही थी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है और कमलनाथ मुख्यमंत्री बन रहे हैं।

खास तौर पर मुस्लिम इलाकों में जाकर यही प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा था कि बस आप लोगों के एक तरफा वोट की जरूरत है। कांग्रेस की सरकार बनने वाली है मगर यह लोग जमीनी हकीकत को बताने को तैयार नहीं थे।

मुसलमानों ने भी भाजपा हराने की ठेकेदारी को अपने सर पर ओढ़ा और निकल लिए भाजपा को हराने जबकि किसी भी राजनीति के छोटे से बच्चे को भी मालूम है कि राजनीति कभी भी बिना समीकरण के मुकम्मल नहीं होती है।

आखिर वह कौन से समुदाय हैं जो कांग्रेस के साथ जुड़ गए थे जिनकी वजह से कांग्रेस को लग रहा था वह एक तरफा तौर पर चुनाव जीत जाएगी। किसी चुनाव में 9 से 10 फ़ीसदी वोट शेयर का फर्क बहुत बड़ा होता है जिसका असर जमीनी सतह पर आसानी से दिखाई देता है।

जब मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इंकॉम्बैसी थी, लोगों के दिलों में रोष था तो फिर अचानक से भाजपा इतने बड़े मार्जिन से चुनाव नहीं जीत सकती है। इसका मतलब यह है कि अपने चुनाव के विश्लेषण और चुनाव को समझने में गलती की है।

जो समुदाय कांग्रेस को कभी वोट नहीं करते हैं उस समुदाय को खुश करने के लिए कांग्रेस बाहों को खोलकर खड़ी थी मगर जो मुसलमान उसे एक तरफा तौर पर वोट देने के लिए तैयार बैठा था उसको टिकट बंटवारे के नाम पर हर जगह ठेंगा दिखा दिया गया।

खास तौर पर मध्य प्रदेश में तो अगर आपको लगता है कि वो समुदाय आपको चुनाव जितवा सकते हैं तो आपको यह चुनाव जीत जाना चाहिए था फिर हार कैसे गए।

कुल मिलाकर मामला यह है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में कमलनाथ के अहंकार ने कांग्रेस की नैया को किनारे के पास लाकर डुबो दिया है। जिस भाजपा की शुरू से आखिर तक नीति हिंदुत्व पर टिकी हो उस हिंदुत्व के सहारे पर कमलनाथ मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का ख्वाब देख रहे थे।

कांग्रेस की छवि सेकुलरिज्म की है। आप अपनी छवि को छोड़कर दूसरे के पिच पर खेलोगे तो मात तो मिलेगी। जिस दिग्विजय सिंह ने नर्मदा यात्रा करके पूरे प्रदेश की नब्ज को समझा हो उसको साइड करके आप एक दिल से संघी व्यक्ति को अपना सर्वेसर्वा बना बैठे थे।

यह भी याद रखिए कि जिस भारत जोड़ो यात्रा के फायदे गिनवाकर आप राज्यों में सरकार बनाने का दावा करते हो उस भारत जोड़ो यात्रा की बुनियाद भी कहीं ना कहीं दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा से ही निकल कर आई थी।

बाकी वैसे उम्मीद तो नहीं है कांग्रेस के सुधरने की फिर भी मध्य प्रदेश में दो तिहाई बहुमत (कांग्रेसी दावा) से चुनाव जीतने पर बधाई।

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