Karnataka High Court; “मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती है”

कर्नाटक हाई कोर्ट के जज साहब कहिन, “मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती है”

मुसलमान की धार्मिक भावना के मामले में न्यायपालिका कितनी निष्पक्ष है आज कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले से बखूबी साबित हो चुका है।

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के एक जज महोदय एम नागप्रसन्ना (Justice M. Nagaprasanna) ने एक फैसले में यह कहा है की मस्जिद (Masjid) के अंदर घुसकर जय श्री राम के नारे लगाने से किसी की धार्मिक भावना नहीं आहत होती है।

जज साहब के कथनों के मुताबिक मस्जिद एक पब्लिक प्रॉपर्टी है इसलिए वहां पर कोई भी दक्षिणपंथी जोम्बी और चरमपंथी हिंदू जाकर आसानी से जय श्री राम के नारे लगा सकता है। इससे किसी वर्ग (मुसलमान) की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।

दक्षिण कन्नड़ जिले के निवासी कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ एक आपराधिक मामले में सुनवाई करते समय संघी विचारधारा से प्रेरित जज महोदय ने फैसला सुनाया कि इन बेचारे मासूमों के खिलाफ कोई भी आपराधिक कार्रवाई नहीं बनती है इसलिए इसको रद्द किया जाता है।

इनके खिलाफ जो 295A धारा लगाई गई है उसका इस केस से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि यह समझ से परे हैं कि अगर कोई जय श्री राम का नारा मस्जिद में लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावनाएं कैसे आहत हो सकती हैं।

अब जज महोदय से किसी को पूछना चाहिए कि भाई साहब अगर यही काम कोई मुसलमान किसी हिंदू मंदिर के अंदर जाकर अल्लाहू अकबर नारे लगा दे तब भी आपका फैसला यही होगा?

आप समझ जाइए कि जिस न्यायपालिका के भरोसे आप इंसाफ की उम्मीद पर बैठे हैं उस न्यायपालिका में भी संघी मानसिकता का बहुत बड़े पैमाने पर अमल दखल है। जिसका नमूना आए दिन अदालत द्वारा किए गए फैसलों में देखने को मिल जाता है।

मौजूदा समय में मुसलमान भाजपाई सरकारी प्रताड़ना का तो शिकार है ही उसके साथ जहां से उसे न्याय की उम्मीद है वह भी पूरी तरीके से खाकी चड्डी में तब्दील हो चुकी है।

न्यायपालिका को अग्रिम भावपूर्ण श्रद्धांजलि

Previous post कांग्रेस की मुहब्बत की दुकान की हकीकत सुनिए!
Next post Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में मुसलमानों के साथ एक बार फिर गद्दारी!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.