अगर मध्य भारत की राजनीति की बात करें तो सबसे अहम राज्य मध्य प्रदेश है। आगामी विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति के रण का बिगुल बज चुका है। मुख्यत यहां पर केवल दो पार्टी कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से सटे हुए इलाकों में सपा और बसपा का भी अच्छा जनाधार है और कुछ सीटों पर जीत भी हासिल हुयी थी।
पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को कमलनाथ सिंह की अगुआई में 114 सीटें हासिल हुयी थी। वहीं भाजपा को शिवराज सिंह के नेतृत्व में 109 सीटों में जीत हासिल हुयी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ जी ने 15 महीने तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चलायी थी मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत ने दुबारा से प्रदेश में भाजपा सरकार को स्थापित कर दिया था।
चुनावी राजनीती
मौजूदा चुनावी राजनीती को देखने पर समझ में आ रहा है कि मध्य प्रदेश में भाजपा विरोधी एक चुनावी लहर है जिसमें कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं का थोक के भाव में कांग्रेस में शामिल होना इस बात को और भी स्थापित कर रहा है। लगभग 40 बड़े भाजपा नेताओं ने कांग्रेस को ज्वाइन किया जिसमें कई लोगों को कांग्रेस की तरफ से टिकट भी दिया गया है।
इसके साथ ही कांग्रेस की टिकट बंटवारे की लिस्टें सामने आने के बाद से ही कांग्रेस में भी बड़े पैमाने पर बगावत हुयी थी। इसका नतीजा ये निकला कि कांग्रेस को 7 सीटों से कैंडिडेट को बदलना पड़ा है। इसके साथ ही सपा के साथ टिकट बंटवारे को ले कर हुआ विवाद भी किसी से ढका छुपा नहीं था।
कांग्रेस द्वारा टिकट बंटवारे में 230 विधानसभा में से केवल दो सीटों (भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य) पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारना भी कई सारे सवाल खड़ा करता है। मुस्लिम बहुल बुरहानपुर विधानसभा में तो बड़े पैमाने पर बगावत हुयी और सभी 23 कांग्रेसी पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा नरेला, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, खंडवा आदि जैसी सीटों पर भी कांग्रेस प्रत्याशियों का भी विरोध हुआ है।
मुस्लिम वोट निर्णायक
मध्य प्रदेश में लगभग साथ फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। मध्य प्रदेश के 19 जिलों में मुस्लिम आबादी एक लाख से अधिक है। वहीं 5 जिलों में मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। भोपाल की उत्तर और मध्य विधानसभा के अलावा प्रदेश की 25 सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक बड़ी भूमिका निभाता है। इनमें भोपाल की नरेला विधानसभा, बुरहानपुर, शाजापुर, देवास, रतलाम सिटी, उज्जैन उत्तर, जबलपुर पूर्व, मंदसौर, रीवा, सतना, सागर, ग्वालियर दक्षिण, खंडवा, खरगोन, इंदौर – एक और पांच, देपालपुर में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव है।
भाजपा की राजनीति
मौजूदा मध्य प्रदेश की राजनीति में लगभग 20 साल (कांग्रेस के 15 महीने की सरकार के अलावा) से काबिज भाजपा जिस हिंदुत्व के अजेंडे और मुस्लिम विरोध पर अपनी पूरी राजनीति कर रही है उस भाजपा में एक लम्बे समय तक मध्य प्रदेश में भाजपा के मुस्लिम विधायक बनते रहे हैं।
1990 के चुनाव में चंदला से अंसारी मोहम्मद गनी भाजपा के विधायक रह चुके हैं।1985 विधानसभा चुनाव में भोपाल दक्षिण से हसनत सिद्दीकी भी बीजेपी विधायक बन चुके हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1977 में जनता पार्टी की तरफ से महासमुंद से याकूब करीम, भोपाल उत्तर से हामिद कुरैशी और सिरोंज से शरीफ मास्टर विधायक चुने गए हैं। 2018 के चुनाव में भी भाजपा ने भोपाल उत्तर विधानसभा सीट आरिफ अकील के खिलाफ से मुस्लिम प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीक़ी को चुनावी मैदान में उतारा था।
दो मुस्लिम विधायक
मुसलमानों की अच्छी खासी संख्या के कारण कुछ विधानसभाओं में अच्छा राजनीतिक प्रभाव है मगर इसके बावजूद भी मुसलमान प्रदेश की राजनीति में केवल एक से दो विधायक तक सीमित हो चुके है। पुरे 33 साल बाद मध्य प्रदेश विधानसभा 2018 में दो मुस्लिम विधायक थे, आरिफ अकील और आरिफ मसूद। इस बार भी कांग्रेस ने केवल इन्हीं दोनों को टिकट दिया है तो विधानसभा में मुस्लिम नुमांइदगी बढ़ने की कोई उम्मीद दूर दूर तक नहीं है।
अभी तक चुने गए विधायक:
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1957 (4)
- भोपाल : शाकिर अली खान (CPI)
- सीहोर: इनायतुल्लाह खान (INC)
- सागर: मोहम्मद शफी मोहम्मद सुब्रती (INC)
- बुरहानपुर: अब्दुल कादिर मोहम्मद मासूम सिद्दीकी (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1962 (7)
- अमरपाटन: गुलशेर अहमद (INC)
- बसना: अब्दुल हमीद दानी (INC)
- सागर: हाजी मोहनमद शफी शेख सुभारती (INC)
- सीहोर: मौलाना इनमयतुल्लाह खान तर्जी मशरिकी (INC)
- भोपाल : खान शाकिर अली खान (CPI)
- उज्जैन उत्तर: अब्दुल गयूर कुरैशी (INC)
- बुरहानपुर: अब्दुल कादिर सिद्दीकी (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1967 (3)
- जरहागांव: एम. बी. खान (INC)
- भोपाल: एस. ए. के. एन. अली (CPI)
- इंदौर 1: ए. बी. के. बेग (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1972 (6)
- अमरपाटन: गुलशेर अहमद (INC)
- जरहागांव: मोहम्मद बशीर खान (INC)
- सीहोर: अजीज कुरैशी (INC)
- भोपाल : एन. अली खान (CPI)
- सिरोंज: खान तर्जी मशरिकुल (INC)
- रतलाम: अकबर अली आरिफ (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1977 (3)
- महासमुंद: महासमुंद याकूब करीम (जनता पार्टी)
- भोपाल उत्तर : हामिद कुरैशी (जनता पार्टी)
- सिरोंज : शरीफ मास्टर (जनता पार्टी)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1980 (6)
- जबलपुर सेंट्रल : हाजी इनायत मो. (INC)
- बड़वारा: हाजी गुलाम अहमद (INC)
- सिवनी: अब्दुल रहमान फारुकी (INC)
- भोपाल उत्तर: रसूल अहमद सिद्दीकी (INC)
- बुरहानपुर : मो. हारून मो. अमीन (INC)
- कवर्धा : हमीदुल्लाह खान (निर्दलीय)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1985 (5)
- बड़वारा: हाजी गुलाम अहमद (INC)
- भोपाल दक्षिण: हसनत सिद्दीकी (BJP)
- भोपाल उत्तर: रसूल अहमद सिद्दीकी (INC)
- बुरहानपुर: फिरोजा अहसान अली (INC)
- खुज्जी: इमरान मेमन (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1990 (2)
- भोपाल उत्तर – आरिफ अकील (निर्दलीय)
- चंदला – अंसारी मोहम्मद गनी (BJP)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1993
- कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 1998 (2)
- बड़वारा: हाजी गुलाम सिप्तैन (INC)
- सतना: सईद अहमद (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2003 (1)
- भोपाल उत्तर: आरिफ अकील (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2008 (1)
- भोपाल उत्तर: आरिफ अकील (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 (1)
- भोपाल उत्तर: आरिफ अकील (INC)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 (2)
- भोपाल उत्तर: आरिफ अकील (INC)
- भोपाल मध्य: आरिफ मसूद (INC)
मध्य प्रदेश की इन सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं।
भोपाल उत्तर:
भोपाल की उत्तर विधानसभा से विधायक आरिफ अकील सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। बीते 25 सालों से भोपाल उत्तर विधानसभा पर आरिफ अकील का कब्जा है। भोपाल की उत्तर विधानसभा में हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही वर्ग के मतदाता रहते हैं। यहां पर लगभग 47 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। विधायक अकील को हराने के लिए बीजेपी यहां से हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्ग से अपने प्रत्याशी उतार चुकी है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
उत्तर विधानसभा में पहली बार साल 1977 में चनाव हुए थे, जब हामिद कुरैशी जनता पार्टी से विधायक चुने गए थे, इसके बाद साल 1980 में रसूल अहमद सिद्दीकी कांग्रेस से विधायक बने। 1990 में आरिफ अकील पहली बार उत्तर विधानसभा से निर्दलीय विधायक बने। 1993 में बीजेपी के रमेश शर्मा ने अकील को हरा दिया था, लेकिन इसके बाद से तो मानों उत्तर विधानसभा आरिफ अकील का गढ़ ही बन गई। साल 1998 से लेकर 2018 तक के चुनाव में इस सीट पर अकील का ही दबदबा चला आ रहा है।
भोपाल मध्य:
भोपाल मध्य की सीट पर मौजूदा समय में कांग्रेस के आरिफ मसूद विधायक हैं। इनको इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस ने इसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। 2018 विधानसभा चुनाव में आरिफ मसूद से हारने वाले भाजपा के सुरेंद्र नाथ सिंह 2013 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2008 में भी भाजपा प्रत्याशी यहां से चुनाव जीता था।
अगर जातीय समीकरण की बात की जाये तो इस सीट पर 37 फीसदी मुस्लिम मतदाता के साथ 10 फीसदी दलित वोटर हैं। शत प्रतिशत शहरी आबादी वाली इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का एक जैसा प्रभाव है। मुस्लिम राजनीति के हिसाब से इसको भोपाल उत्तर की तरह आसान सीट नहीं समझा जाता है।
बुरहानपुर:
मुस्लिम बहुल सीटों की अगर बात करें तो भोपाल के बाद हमेशा बुरहानपुर का ही नंबर आता है। 50% से भी अधिक मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर चुनावी नतीजे कभी भी एक पार्टी के पक्ष में नहीं रहे हैं। इस सीट को अगर आप निर्दलीयों की सीट बोलेंगे तो भी हैरानी नहीं होनी चाहिए।
खंडवा लोकसभा के अंतर्गत आने वाली बुरहानपुर विधानसभा शहरी और गांव की मिक्स आबादी वाली सीट है। जिसमें निर्णायक तौर पर शहर की मुस्लिम आबादी चुनाव में अहम भूमिका निभाती है। मौजूदा समय में यहां से सुरेंद्र सिंह शेरा निर्दलीय विधायक हैं। उनसे पहले भाजपा की अर्चना दीदी दो बार विधायक रहीं हैं।
मुस्लिम बहुल सीट होने के बावजूद यहां से मुख्य राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवार को चुनावी मैदान में नहीं उतारती हैं। आखिरी बार यहां से हामिद काज़ी एनसीपी के टिकट पर 2003 में विधायक चुने गए थे। उससे पहले 1980 में मोहम्मद हारुन और 1985 में फ़िरोज़ा अहसान अली भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं।