पूरे देश में 31 अक्टूबर को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। अगर आयरन लेडी (Iron Lady) और आपातकाल (Emergency) के इलावा मुस्लिम मुद्दों पर बात करूँ तो इंदिरा गांधी आज़ाद भारत (India) के राजनीतिक इतिहास में वो कारनामा कर के गयी है जो आज तक दुबारा कोई राजनेता दोहरा भी नहीं पाया है।
इंदिरा गांधी ने ही भारत के विभिन्न राज्यों को पहली बार मुस्लिम मुख्यमंत्री प्रदान किये थे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री – बरकतुल्लाह खान
राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि इंदिरा को भाभी कह कर एक मुस्लिम नेता राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गया था। वो जब लंदन (London) में थे तो दिल्ली (Delhi) से एक फोन गया। कहा गया वापस आओ, तुम्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया है। फोन करने वाली थीं इंदिरा गांधी और फोन रिसीव करने वाले थे बरकतुल्लाह खान, जो आज तक राजस्थान के इकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री (Muslim Chief Minister) हैं। बरकतुल्लाह खान (Barkatullah Khan) 9 जुलाई 1971 से अपनी मृत्यु 11 अक्टूबर 1973 तक राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री रहे थे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री – अब्दुल रहमान अंतुले
ऐसे ही महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीती में भी इंदिरा गांधी के बेहद करीबी और उनके प्रति निष्ठा की कसमें खाने वाले अब्दुल रहमान अंतुले (Abdul Rahman Antulay) 1976 से 1980 के बीच इंदिरा गांधी के बेहद खराब काल में राज्यसभा सदस्य रहे और कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय महासचिव भी। इसी का फल था कि वह जून 1980 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाए गए। बागी स्वभाव और विवादों के शहंशाह माने जाने वाले अंतुले रायगढ़ से सांसद रहने के साथ 14 वीं लोकसभा में डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाए गए थे। अब्दुल रहमान अंतुले 09 जून 1980 से 12 जनवरी 1982 तक महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रह हैं।
असम की मुख्यमंत्री – सैयदा अनवरा तैमूर
जब मुस्लिम मुख्यमंत्रियों की बात हो तो असम (Assam) की एकलौती मुस्लिम और महिला मुख्यमंत्री सैयदा अनवरा तैमूर का जिक्र भी जरूर होगा। अनवरा तैमूर (Syeda Anwara Taimur) को इंदिरा गांधी ने असम के मुख्यमंत्री (CM) की गद्दी संभालने का मौका उस दौरान दिया था जब असम आंदोलन (Assam Movement) की आग में झुलस रहा था। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (All Assam Students Union) और ऑल असम गण परिषद (Assam Gana Parishad) के नेतृत्व में मूल निवासी बनाम अवैध शरणार्थियों की लड़ाई चल रही थी। इस आक्रोश को शांत करने के मकसद से कांग्रेस (Congress) ने दिसंबर 1980 में अनवरा तैमूर को असम के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी। वो 30 जून 1981 तक असम की मुख्यमंत्री (Chief Minister) के पद पर विराजमान रही हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री – अब्दुल गफूर खान
बिहार (Bihar) को भी इंदिरा गांधी ने आज़ाद भारत का एक मात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर खान (Abdul Gafoor Khan) के रूप में दिया था। वो राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के प्रधानमंत्री कार्यकाल में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (निर्माण और आवास, शहरी विकास मंत्रालय) भी रहें हैं। अब्दुल गफूर, स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) में बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) के प्रसिद्ध युवा तुर्कों बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, चंद्रशेखर सिंह, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, केदार पांडे (सभी आने वाले समय में मुख्यमंत्री रहे) और सीताराम केसरी, इन सभी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) का अहम हिस्सा थे। अब्दुल गफूर साहब 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार राज्य के तेरहवें मुख्यमंत्री रहे हैं।
पुदुचेरी के मुख्यमंत्री – एमओ हसन फारूक
इसी प्रकार केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी (Puducherry) को भी पहली बार मुस्लिम मुख्यमंत्री एमओ हसन फारूक मैरिकर (M. O. Hasan Farook Maricar) के रूप में इंदिरा गांधी के शासनकाल में ही मिला था। हसन फारूक साहब तीन बार 9 अप्रैल 1967 से 6 मार्च 1968, 17 मार्च 1969 से 3 जनवरी 1974 और 16 मार्च 1985 से 19 जनवरी 1989 तक पुदुचेरी राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। फारूक ने 1953-54 के दौरान एक छात्र (Student) के रूप में पुदुचेरी की मुक्ति के संघर्ष में भाग लिया, जब पुदुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था। वह 1991, 1996 और 1999 में पांडिचेरी से तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए और केंद्रीय राज्य मंत्री (नागरिक उड्डयन और पर्यटन) के रूप में कार्य किया। फारूक को 2010 में झारखंड (Jharkhand) का और 2011 में केरल (Kerala) का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
मणिपुर के मुख्यमंत्री – मोहम्मद अलीमुद्दीन
इसके अलावा मोहम्मद अलीमुद्दीन (Mohammed Alimuddin) दो बार मणिपुर (Manipur) के एकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे हैं। वो 23 मार्च 1972 से 27 मार्च 1973 और 4 मार्च 1974 से 9 जुलाई 1974 तक मणिपुर के मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान थे।
केरल के मुख्यमंत्री – सीएच मोहम्मद कोया
बहुत छोटे से समय 12 अक्टूबर 1979 से 1 दिसंबर 1979 के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) के सीएच मोहम्मद कोया (C. H. Mohammed Koya) केरल (Kerala) के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे। वो दो बार 24 मई 1982 से 28 सितम्बर 1983 और 28 दिसंबर 1981 से 17 मार्च 1982 केरल राज्य के उप मुख्यमंत्री (Deputy CM) के पद पर भी विराजे हैं। शिक्षा मंत्री (Education Minister) के रूप में, कोया ने उत्तरी केरल में पिछड़े वर्गों की शिक्षा की प्रगति का समर्थन किया था। अपनी मृत्यु तक वो विभिन्न सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभालते रहे है।
मुस्लिम राजनीती का स्वर्णिम काल इंदिरा गांधी के दौर
अगर आप ध्यान से देखेंगे तो समझ आयेगा कि मुस्लिम राजनीती (Muslim Politics) का स्वर्णिम काल (Golden Period) इंदिरा गांधी के दौर में ही था। उन्होंने सीधे तौर पर 5 राज्यों में कांग्रेस की तरफ से मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाये थे। इसके अलावा दूसरी पार्टियों से सम्बंधित दो अन्य मुस्लिम मुख्यमंत्री भी उन्हीं के दौर में हुए हैं।
“मेरी दादी इंदिरा गांधी” राहुल गांधी
मौजूदा भारतीय राजनीति में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा है कि “मेरी शक्ति मेरी दादी इंदिरा गांधी हैं। जिस भारत के लिए उन्होंने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया है मैं उस भारत की हमेशा रक्षा करूंगा।”
भारत के मुसलमान जो राजनीतिक और सामाजिक तौर से सबसे पिछड़ा हुआ है उसको उसकी आबादी के हिसाब से उचित राजनीतिक भागीदारी देने के साथ राहुल गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह ही एक मिसाल पेश करते हुए देश को दुबारा से मुस्लिम मुख्यमंत्री प्रदान करेंगे।
अगर ऐसा होगा तो मुस्लिम समाज जो कांग्रेस छोड़ दूसरे विकल्प तलाश कर रहा है वो राजनीतिक तौर से फिर एक बार कांग्रेस के साथ आयेगा।