यूट्यूब पर वीडियो बनाने वाले Abhi and Niyu द्वारा अपने ट्विटर पर एक पोस्ट लिखी गयी थी जिसमें उन्होंने मुसलमानों पर सीधे टूर पर निशाना साधते हुए लिखा था कि “भारत में किसी विशेष धर्म के लिए कोई क्षेत्र निर्दिष्ट (designated) नहीं किया जा सकता है”.
इन यूट्यूब (Youtube) वाले बुद्धिजीवी जोड़े को अपना निजी जिंदगी का एक वाक्या सुनाता हूं तो शायद इनको थोड़ा सा समझ आएगा कि जो ये ज्ञान पेल रहे हो इसकी बुनियादी वजह क्या है!
यह बात इस समाज की तलह हकीकत है कि केवल धर्म के आधार पर अधिकतर पॉश कॉलोनी या जिन्हें आप सभ्य समाज की सबसे उत्तम रहने लायक जगह कहते हैं वहां पर केवल मुसलमान (Muslim) होने की वजह से किसी मुस्लिम व्यक्ति या परिवार को फ्लैट (Flat) खरीदने या रेंट पर लेने से मना कर दिया जाता है।
पता नहीं क्यों लोगों को मुस्लिम नाम के बाद ही अचानक से एसिडिटी होने लगती है। उनको लगता है कि यार हमारे इस मोहल्ले में मुसलमान कैसे रह सकता है! यह तो केवल हमारे जैसे लोगों की जगह है!
मुझे मुस्लिम होने की वजह से कमरा किराये पर नहीं मिला
मैं कॉलेज के समय हॉस्टल को छोड़कर आसपास किसी एरिया में एक घर ढूंढ रहा था। तो मेरे कॉलेज के आसपास सबसे करीबी इलाका या तो अम्लोह था या मंडी गोबिंदगढ़।
क्योंकि मंडी गोबिंदगढ़ थोड़ा शहरी इलाका था तो मैंने सोचा क्यों ना वहां पर एक फ्लैट ढूंढा जाए तो फिर इसी कशमकश में खोज पड़ताल शुरू हुई।
अपने दोस्त की मदद से एक मोहल्ले में पहुंचे तो सारी बातचीत होने के बाद जब यह बात हुई कि बेटा जी आपका नाम क्या है तो जो आंटी पहले बेटा कहते-कहते थक नहीं रही थी उनके अचानक से हाव-भाव बदल गए! उनके चेहरे के एक्सप्रेशन को देखकर मैं पूरी बात समझ गया था तो मैंने सीधा ही उनको कह दिया कि अगर आपको किसी मुस्लिम को घर देने का मन नहीं है तब सीधा बोल सकती हैं मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है।
खैर उन्होंने बात को टालने के लिए ना नुकर कर करके मामला संभालने की कोशिश की। ऐसा ही मामला दो-तीन जगह और हुआ तो मैंने थक कर अपने दोस्त को कहा कि यार कोई फायदा नहीं है चुपचाप जो जैसा चल रहा है अभी वैसा ही चलने दो।
यहां याद रखियेगा मेरा वो दोस्त भी हिंदू था।
कभी कभार मुझे खाने-पीने की ज्यादा दिक्कत होती थी तो मैं तकरीबन 100 किलोमीटर की दूरी पर एक मुस्लिम केंद्र शहर मलेरकोटला चला जाता था। एक-दो दिन अपने दोस्तों के साथ खाना फोड़ कर फिर वापस आ जाता था।
ये हाल पंजाब का है बाकि जगह….
अब आप अंदाजा लगा लो कि पंजाब (Punjab) जो अभी भी सांप्रदायिकता की आग से महफूज है उसके शहरी इलाकों में अगर इस प्रकार की किस्सा कहानी हो सकती है तो यहां तो उन इलाकों की बात हो रही है जहां पर सांप्रदायिकता अपने चरम सीमा पर है।
अभी अपने दिल्ली (Delhi) के तल्ख किस्से तो बताये भी नहीं है कि आखिर क्यों मुझे जामिया नगर को ही अपना ठिकाना बनाना पड़ा है!
आप मानो चाहे ना मानो तल्ख हकीकत तो यही है कि भारत में आज भी धर्म के आधार पर भेदभाव होता है। नीचे से ऊपर तक शिक्षा से लेकर जब तक कोई भी जगह इससे अछूती नहीं है।