ठेकेदार मौलाना या कथित सेकुलर पार्टियां?
इस सवाल का जवाब जितना दिखने में आसान लगता है उतना असल में है नहीं। एक लंबा इतिहास है जिसमें इस सवाल के जवाब को ढूंढने की कोशिश हमारे पुरखों द्वारा की गई है।
चलिए इस उभरते हुए सवाल के जवाब को खोजने की कोशिश करते हैं!
सबसे पहली बात कि इस वक्त मुसलमान राजनीतिक तौर पर दो रास्तों पर खड़ा है। मगर इससे भी आगे बढ़कर एक रास्ता तो मुसलमानों को बेहद क्लियर है कि वो भाजपा को किसी कीमत पर राजनीतिक तौर पर वोट देने को तैयार नहीं है।