हमें अक्सर एक बात की शिकायत रहती है कि मुसलमानों की राजनीतिक भागीदारी दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। खास तौर पर लोकसभा के अंदर इसका असर कुछ ज्यादा दिखाई दे रहा है।
काफी हद तक यह बात सही भी है मगर इससे अलग हटकर भी एक दूसरी बात है जिस पर विचार करने की बेहद जरूरत है।
मुसलमानों की आबादी के हिसाब से देखा जाए तो जम्मू कश्मीर और असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ही 29% पाई जाती है।
पश्चिम बंगाल का मुसलमान राजनीति के लिहाज पूर्वी भारत में सबसे अहम कड़ी है। यहां की राजनीति में मुसलमान का ठीक-ठाक अमल दखल शुरू से रहा है।
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम संसद कितने हों?
जहां पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा की सीटें हैं और 29% राज्य की मुस्लिम आबादी के हिसाब से कम से कम 12 लोकसभा सांसद मुस्लिम समुदाय से होने चाहिए मगर आमतौर पर कभी भी ऐसा देखने को नहीं मिला है।
इसके बावजूद ऐसा नहीं कहा जा सकता कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों के सांसद बेहद कम है जैसा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र आदि जैसे बड़े राज्यों में देखने को मिलता है कि एक अच्छी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद भी वहां पर एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है।
वैसा पश्चिम बंगाल में नहीं है!
पश्चिम बंगाल में मौजूदा समय में भी 2024 के लोकसभा चुनाव में 6 मुस्लिम सांसद चुनकर देश की संसद में पहुंचे थे। इसके अलावा इसी पश्चिम बंगाल से तीन राज्यसभा सांसद भी मुसलमानों की नुमाइंदगी संसद में करते हैं।
कुल मिलाकर बात यह है कि 9 मुस्लिम सांसद पश्चिम बंगाल से होने के बावजूद भी देश भर में मुसलमानों की प्रताड़ना के लिए पश्चिम बंगाल से कभी कोई मुखर आवाज सुनने को नहीं मिली है।
राजनीतिक द्वेष में जो मुस्लिम युवा पिछले 5 सालों से जेल में बंद है उनके समर्थन में कभी इन 9 सांसदों में से किसी भी सांसद ने खुलकर बोलने का कष्ट नहीं किया है।
सोचिये इसी बंगाल से आने वाली महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले ने नाम लेकर उमर खालिद, शरजील इमाम और खालिद सैफी जैसे राजनीतिक बंदियों की आवाज उठाई है मगर इन नौ सांसदों में से आज तक किसी ने भी आवाज उठाना तो दूर इनका नाम लेना भी गवारा नहीं समझा है।
अब एक समय के लिए सोच कर देखिए क्या आखिर ऐसे मुस्लिम सांसदों का कोई फायदा है?
जो अपने समुदाय के तकलीफ, दर्द और प्रताड़ना के मुद्दे पर संसद में आवाज उठाना भी भूल चुके हो!
सोचिए जब पूरे देश में संभल में मुसलमान की प्रताड़ना पर और वहां की जामा मस्जिद के खिलाफ चल ले षड्यंत्र के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा सब जगह पर उस पर चर्चा हो रही है ऐसे में पश्चिम बंगाल की यह नाम निहाद 9 मुस्लिम सांसद कहां गायब हैं किसी को कोई मालूम नहीं!
जब संसद में संभल के हिंसा के मामले में चर्चा हो रही थी तो महुआ मोइत्रा ने खुलकर उसके खिलाफ आवाज उठाई मगर इन 9 सांसदों में से कोई भी एक मुस्लिम सांसद अगर मुसलमानों की उस प्रताड़ना के खिलाफ एक शब्द भी बोला हो तो आप दिखा दीजिए!
क्या मुसलमानों की जिस घटती राजनीति का रोना हम रो रहे हैं उसमें इन गूंगे बहरे सांसदों की क्या हैसियत है?
ये क्यों न माना जाये कि ये केवल चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम वोटो का सहारा लेते हैं मगर चुनाव जीतने के बाद कहीं दूसरी दुनिया में ही गायब हो जाते हैं!
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम सांसद
अगर मैं पश्चिम बंगाल के इन सांसदों की डिटेल में बात करूँ तो कांग्रेस के ईशा खान चौधरी मालदा दक्षिण से चुनाव जीत कर सांसद बने हैं। वहीं खलील उर रहमान जंगीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीत का टीएमसी के सांसद बने हैं।
वहीं सबसे चर्चित चेहरा यूसुफ पठान बहरामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी को हराकर संसद में पहुंचे हैं। याद रखिएगा इन्हीं यूसुफ पठान को मुसलमानों ने उर्दू नाम की वजह से झोली भरकर वोट दिया था मगर जब मुसलमानों की प्रताड़ना पर आवाज उठाने की बात आई तो यह युसूफ पठान कहां गायब है किसी को मालूम नहीं!
अब पता करिए कि गुजरात में जाकर छुप गए हैं या फिर अपने आईपीएल में पैसा कमाने में मसरूफ है या सुनने में आ रहा था कि इनका ताजमहल का दौरा ही नहीं खत्म हो रहा है!
ऐसे ही मुर्शिदाबाद के अबू ताहिर खान भी 2024 में चुनाव जीते हैं वहीं उलुबेरिया से सजदा अहमद भी चुनाव जीत कर लोकसभा सांसद बनी है।
वहीं बसीरहाट से चुनाव जीतने वाले हाजी नुरुल इस्लाम का इंतकाल हो गया है जहां पर उपचुनाव होना अभी बाकी है।
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम सांसद (लोकसभा):
1. Isha Khan Choudhury – Maldaha Dakshin – INC
2. Khalilur Rahaman – Jangipur – TMC
3. Yusuf Pathan – Baharampur – TMC
4. Abu Taher Khan – Murshidabad – TMC
5. Sajda Ahmed – Uluberia – TMC
6. Haji Nurul Islam (Late) – Basirhat – TMC
इसके अलावा टीएमसी की तरफ से पश्चिम बंगाल के कोटे से तीन मुस्लिम नेताओं को राज्यसभा में भी भेजा गया है। नदीम उल हक, समीर उल इस्लाम और मौसम नूर यह वह तीन नाम है जो मुस्लिम होने की वजह से राज्यसभा में पहुंचे हैं मगर इन्होंने कभी भी मुसलमान की प्रताड़ना पर कोई आवाज नहीं उठाई है।
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम सांसद (राज्यसभा):
1. Nadimul Haque – TMC
2. Samirul Islam – TMC
3. Mausam Noor – TMC
उभरता हुआ सवाल
तब सवाल यह है कि जिस मुसलमान नेताओं की राजनीतिक भागीदारी को लेकर हम लोग दिन रात चिंतित हो कर बात करते हैं सवाल उठाते हैं मगर जो मुस्लिम राजनेता लोकसभा या राज्यसभा में चुनकर पहुंचने भी हैं वो तो गूंगे बहरे नेता बने बैठे हैं जिनकी जुबां से मुसलमान की प्रताड़ना पर एक शब्द नहीं निकलता है तो इनकी फ़िक्र में अपना खून जलाने से क्या फायदा!
- इन मुस्लिम नेताओं को लगता है कि उनके बोलने से क्या होगा! वह कुछ करें कुछ ना करें अगली बार वह फिर से चुनाव जीत जाएंगे, मुसलमान तो गधे हैं इनको आजीवन सिर्फ मुसलमान होने की वजह से वोट देते रहेंगे!
पश्चिम बंगाल के इन गूंगे बहरे मुस्लिम सांसदों से सवाल पूछिए और जरा जोर से पूछिए कि आखिर तुम मुसलमानों की प्रताड़ना पर नहीं बोलोगे तो हम तुम्हें क्यों बर्दाश्त करें!
याद रखो दंगे में मारे जाओ इतने मुसलमान तो आप भी हो सांसद महोदय!
सियासत में मुस्लिम सांसदों के इस गूंगेपन का जवाब ढूंढने की कोशिश करिए क्यूंकि मुसलमानों के राजनीतिक पिछड़ेपन की एक अहम वजह यह भी