सेकुलर राजनीतिक पार्टियां मुसलमान बच्चों को क्या देंगी?

अजी घंटा!

जहां सभी समुदाय अपने फायदे नुक्सान के साथ पार्टियों के सर्मथन में खड़ी हैं वहीं मुसलमान बेचारा केवल भाजपा हराओ के लेमनचूस में सब कुछ भूल बैठा है।

एक तरफ देश की राजनीति में बंटवारे की राजनीति की सूत्रधार भाजपा सत्ता में काबिज़ है वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां खुद को लोकतंत्र का रक्षक बताने में व्यस्त हैं।

मुसलमानों के बच्चों को शिक्षा और रोजगार के मामले में पाताल लोक में पहुंचाया जा रहा है मगर इसके खिलाफ दूसरे क्या आवाज़ उठायेंगे इधर तो अपने भी कोरमा बिरयानी से आगे की बात करने को तैयार नहीं हैं।

अभी हाल में UPSC ने इंडियन फारेस्ट सर्विस की परीक्षा के नतीजे घोषित किये है जिसमें कुल 147 युवा सफल हुए है। देश की आबादी में 15% का हिस्सेदार मुस्लिम समुदाय की तरफ से इस परीक्षा के नतीजों में केवल 3 युवा; सना फ़ैयाज़ (12), आक़िब जमाल ई (119) और अज़मल हुसैन (146) ही सफलता हासिल कर सके हैं।

मुसलमानों के एक तरफ़ा वोट को अपने बाप की जागीर समझने वाली कांग्रेस और तमाम सेकुलर पार्टियां मुस्लिम बच्चों के उज्जवल भविष्य और रोजगार के किसी भी रोड मैप पर कभी नहीं बोलती है।

वैसे वो बोलेंगी भी क्यों? आखिर मुसलमान केवल भाजपा हराने के नाम पर ही तो वोट करता है। उसे क्या फर्क पड़ता है कि उसकी औलादें अच्छी नौकरी करे अथवा यूँ ही जिंदगी भर सड़कों पर धक्के खाती रहे!

मुसलमानों के लिए तो अभी के समय में केवल झंडा उठाना और किसी को हराने का ऐसा ठेका है जिसके चक्कर में पूरी नस्ल तबाह हो जाये क्या फर्क पड़ता है।

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