लगे हाथ राजनीतिक तौर पर मृत समझ कर मर्सिया भी पढ़ देना चाहिए!
अब जिस मोहब्बत की दुकान में मुसलमानों की हैसियत केवल वोट देने तक सीमित हो, उनके खिलाफ होने वाले जुल्मों सितम पर बोलना कांग्रेसी नेताओं के लिए पाप समझा जाता हो तो ऐसी कांग्रेस का मर जाना ही बेहतर है।
जो कांग्रेस के मुस्लिम सांसद समझते हैं कि उनका नंबर नहीं आएगा तो बेटा यह जान लो बुलडोजर के शिकार तुम भी होगे!
जो इमरान मसूद सहारनपुर में बैठकर अपने आप को शहंशाह अकबर समझ रहे हैं जिस दिन आपका घर टूटेगा तो देखेंगे कौन से राहुल गांधी बुलडोजर के सामने खड़े मिलते हैं!
कौन सी प्रियंका गांधी बुलडोजर को रोकने के लिए प्रशासन से लड़ जाती है!
हम भी देखेंगे कि कांग्रेस के कितने कार्यकर्ता आपके घर को बचाने के लिए रोड पर उतर आते हैं!
कांग्रेस के तमाम लोकसभा के मुस्लिम सांसद जो अभी छतरपुर मध्य प्रदेश के मुद्दे पर चुप्पी साध कर बैठे हैं वह अपनी बर्बादी का भी इंतजार करें!
बहुत जल्द आपको भी “दंगों में मारे जाने वाले मुसलमान” का एहसास जरूर होगा!
बाकी मध्य प्रदेश की कांग्रेस देश की सबसे निकम्मी, मक्कार और दगाबाज विपक्ष की हैसियत रखती है। इनके प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी निहायती निकम्मे अध्यक्ष हैं।
दिग्विजय सिंह खाली जुबानी कलामी बोलते हैं कि मुसलमान मेरे भाई हैं बाकी हैसियत आपकी उनके लिए भी उतनी ही है।
बाकी कमलनाथ तो है ही संघी उसके बारे में क्या ही कहा जाए।
खैर कांग्रेस को श्रद्धांजलि देते हुए दो शब्द कहते हुए जाईयेगा ताकि इनके सुलेमानी कीड़े को जरा शांति मिल सके!