उत्तराखंड (Uttarakhand) के हल्द्वानी (Haldwani) में हुयी हिंसा में भी पीड़ित मुसलमानों (Muslims) को ही अपराधी बनाया जायेगा। नफरत की पराकष्ठा में पूर्वाग्रह से ग्रस्त लोगों ने मुसलमानों को में पहले ही दोषी साबित कर रखा है।
यकीन मानिए हिंसा में घर भी मुसलमानों का जलेगा, मरने वाला भी मुस्लिम होगा, फिर घरों पर बुलडोज़र भी मुसलमानों के ही चलेगा और आखिर में पुलिस व् सत्ता पूरी हिंसा का एक तरफ़ा अपराधी भी मुसलमानों को ही बनायेगी।
यही न्याय की परिभाषा हो चुकी है देश में। बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि हर जगह की हिंसा में सत्ता ने इसी पैटर्न पर मुसलमानों को प्रताड़ित किया है।
देश में मौजूदा हाल तो ये हो चुका है कि मरने वाले मुसलमान ने ही खुद को मारा है इसलिए बुलडोज़र (Bulldozer) उसके घर पर ही चलेगा। पत्थरबाज़ी (Stone Pelting) की थ्योरी को ऐसे गढ़ा गया है कि अपराध साबित होने से पहले ही मुसलमान को पूरा तंत्र मिल कर अपराधी साबित कर देता है।
मुसलमानों की आह पर भी देशद्रोह (Sedition) का मुकदमा करने वाले केवल एक बार सत्ताधीश भाजपा (BJP) के समर्थकों के सोशल मीडिया हैंडल को देख ले यूँ लगेगा कि इनका बस चले तो ये कल मुसलमानों का नरसंहार कर के बंगाल की खाड़ी में बेबस मुसलमानों की लाशों को विसर्जित कर दें।
नफरत की इस चरमसीमा में पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर मुसलमानों को दोषी साबित करना इस देश को किधर ले आकर जायेगा खुदा ही जाने!